हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर दिए गए एक बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। सैनी ने दावा किया कि बिहार में आगामी चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बीजेपी नेता सम्राट चौधरी के नेतृत्व में जीत हासिल करेगा, जिसके बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने जनता दल (यूनाइटेड) से इस टिप्पणी को "गंभीरता से लेने" को कहा। तेजस्वी ने इसे बीजेपी की ओर से नीतीश कुमार को एक और कार्यकाल से रोकने की "गुप्त योजना" का हिस्सा बताया, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है।

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सैनी का बयान और विवाद की शुरुआत




हरियाणा के गुड़गांव में एक कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, "हरियाणा में बीजेपी की विजय यात्रा, जिसने हमें सत्ता में वापस लाया, बिहार में भी जारी रहेगी। मुझे विश्वास है कि आगामी चुनाव बीजेपी सम्राट चौधरी के नेतृत्व में जीतेगी।" इस बयान ने बिहार में सियासी हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं भड़काईं, क्योंकि यह सुझाव देता है कि एनडीए का नेतृत्व बिहार में मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बजाय बीजेपी के सम्राट चौधरी करेंगे। 

सैनी की टिप्पणी को कई लोगों ने नीतीश कुमार की स्थिति पर सवाल उठाने वाला माना, जो जेडी(यू) के नेता और एनडीए के सहयोगी हैं। बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले यह बयान गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े करता है। तेजस्वी यादव ने इसे बीजेपी की "रणनीति का लीक" करार देते हुए कहा, "जेडी(यू) को हरियाणा के मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। यह बीजेपी की उस योजना को दर्शाता है, जिसमें नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनने से रोका जाएगा।"

तेजस्वी का तंज: "बीजेपी का असली चेहरा बेनकाब"




पटना में पत्रकारों से बात करते हुए, आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सैनी के बयान को बीजेपी की "दोहरी नीति" का सबूत बताया। उन्होंने कहा, "बीजेपी एक तरफ नीतीश जी के साथ गठबंधन की बात करती है, दूसरी तरफ उनके अपने नेता खुलेआम सम्राट चौधरी को नेतृत्व देने की बात कह रहे हैं। यह नीतीश जी और जेडी(यू) के लिए अपमानजनक है। जेडी(यू) को इस पर जवाब देना चाहिए कि क्या वे इस तरह की टिप्पणियों को बर्दाश्त करेंगे।" 

तेजस्वी ने यह भी सुझाव दिया कि बीजेपी बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जेडी(यू) को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि "यह कोई नई बात नहीं है। बीजेपी अपने सहयोगियों को इस्तेमाल करती है और फिर उन्हें किनारे कर देती है। नीतीश जी को सावधान रहना चाहिए।"

जेडीयू की प्रतिक्रिया: "नीतीश ही रहेंगे नेता"





सैनी के बयान के बाद जेडीयू ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, "जिनका नाम लेकर सैनी जी यह बात कह रहे हैं, उन्होंने खुद स्पष्ट कर दिया है कि बिहार का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। तो फिर इस बयान का क्या मतलब रह जाता है?" नीरज ने जोर देकर कहा कि नीतीश कुमार एनडीए के निर्विवाद नेता हैं और गठबंधन में कोई भ्रम नहीं है।

जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने भी इस मुद्दे को कम करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए की जीत की गारंटी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में स्पष्ट किया था कि नीतीश जी ही मुख्यमंत्री रहेंगे। सैनी का बयान सैनी-कुशवाह समुदाय के समर्थन के संदर्भ में था।"

बीजेपी की सफाई के बावजूद सवाल बरकरार




बीजेपी ने भी सैनी के बयान को संदर्भ से जोड़ने की कोशिश की। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सैनी का इशारा बिहार में बीजेपी की बढ़ती ताकत और सम्राट चौधरी की लोकप्रियता की ओर था, न कि नीतीश कुमार को हटाने की ओर। इस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- "एनडीए एकजुट है। सैनी जी ने केवल उत्साह में अपनी पार्टी के नेता की तारीफ की। इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।"

हालांकि, बीजेपी की यह सफाई विपक्ष को शांत करने में नाकाम रही। तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर लिखा, "बीजेपी का सीक्रेट प्लान अब खुल गया है। बिहार के लोग इस तरह की साजिशों को समझते हैं और जवाब देंगे।"

सियासी संदर्भ और व्यापक प्रभावः यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। नीतीश कुमार और जेडी(यू) पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं, लेकिन बीजेपी की बढ़ती महत्वाकांक्षा ने गठबंधन में तनाव की अफवाहों को जन्म दिया है। सम्राट चौधरी, जो बीजेपी के बिहार अध्यक्ष हैं, को पार्टी का एक उभरता हुआ चेहरा माना जाता है, और सैनी का बयान उनके प्रति बीजेपी के भरोसे को दर्शाता है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान एनडीए के भीतर नेतृत्व को लेकर असमंजस को उजागर करता है। राजनीतिक टिप्पणीकारों का कहना है कि "सैनी का बयान बेशक अनजाने में दिया गया हो, लेकिन यह गठबंधन की कमजोर कड़ी को सामने लाता है। अगर बीजेपी और जेडी(यू) एक-दूसरे पर भरोसा नहीं दिखाते, तो विपक्ष इसका फायदा उठा सकता है।"

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सैनी के बयान ने सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस छेड़ दी है। एक्स पर कुछ यूजर्स ने सैनी की टिप्पणी को बीजेपी की "आक्रामक रणनीति" का हिस्सा बताया, जबकि अन्य ने इसे गठबंधन में सामान्य समन्वय की कमी माना। एक यूजर ने लिखा, "बीजेपी नीतीश जी को किनारे करना चाहती है, लेकिन बिहार की जनता ऐसा नहीं होने देगी।" वहीं, बीजेपी समर्थकों ने सैनी का बचाव करते हुए कहा कि उनका बयान केवल पार्टी की जीत की भविष्यवाणी था।