आंध्र प्रदेश में मंदिरों की सुरक्षा को लेकर सरकारी लापरवाही ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनवरी में तिरुपति मंदिर में हुई भगदड़ के बाद मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एंडोमेंट्स विभाग के साथ लंबी बैठकें कीं और भीड़ प्रबंधन के लिए कई उपाय सुझाए, लेकिन ये ज्यादातर योजनाएं कागजों पर ही अटक गईं। श्रीकाकुलम जिले के काशिबुग्गा के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में हुई भगदड़ के बाद यह सच्चाई सामने आई है। इस घटना ने राज्य में मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है, जहां पुरानी संरचनाओं और निजी मंदिरों की अनदेखी प्रमुख समस्या बनी हुई है।
जनवरी में तिरुपति हादसे के बाद आंध्र ने बनाई थीं योजनाएँ, ज्यादातर लागू ही नहीं हुईं
- आंध्र प्रदेश
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- 2 Nov, 2025

जनवरी में तिरुपति हादसे के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने कई सुरक्षा योजनाएँ बनाने का दावा किया था, लेकिन अधिकांश लागू नहीं हुईं। क्या प्रशासनिक सुस्ती ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को दांव पर लगा दिया है?

1 नवंबर 2025 को एकादशी के पावन अवसर पर काशिबुग्गा के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भारी भीड़ उमड़ आई। लगभग 15000 से अधिक भक्तों की उपस्थिति में महिलाओं की कतार में जगह के लिए धक्कामुक्की हुई, जिससे भगदड़ मच गई। आठ महिलाएं और एक 13 वर्षीय लड़का इस हादसे में मारे गए, जबकि 31 लोग घायल हो गए। मंदिर प्रबंधन ने रेलिंग और बैरिकेड लगाए थे, लेकिन एंट्री और एग्जिट पॉइंट एक ही होने से स्थिति बेकाबू हो गई। पलासा मंडल राजस्व अधिकारी यानी एमआरओ की रिपोर्ट में कहा गया, 'एंट्री और एग्जिट रूट एक ही होने के कारण लगाई गई स्टील रेलिंग गिर गई, जिससे लोग एक साथ दौड़ पड़े और भगदड़ हो गई।'























