बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले एनडीए गठबंधन में दरार की अटकलों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जा रहा है। जीत के बाद मुख्यमंत्री पद पर फैसला सभी सहयोगी दलों के साथ मिलकर लिया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा, "नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं, यह फैसला मैं नहीं करूंगा। फिलहाल हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव के बाद सभी सहयोगी एक साथ बैठकर अपने नेता का फैसला करेंगे।" हालांकि अमित शाह का यह बयान बीजेपी नेताओं के उन बयानों से अलग हटकर है, जिसमें बीजेपी कह रही थी कि नीतीश ही अगली बार भी मुख्यमंत्री बनेंगे। 
शाह ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए बताया कि उस समय जेडीयू को भाजपा से कम सीटें मिली थीं, फिर भी नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने बताया, "2020 के चुनाव नतीजे आने के बाद नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि भाजपा को अधिक सीटें मिली हैं, इसलिए मुख्यमंत्री पद बीजेपी को मिलना चाहिए। लेकिन हमने हमेशा गठबंधन का सम्मान किया। नीतीश जी की सीनियरिटी और सम्मान को देखते हुए उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया गया।" शाह ने भरोसा जताया कि इस बार एनडीए पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ देगा। हम अधिकतम सीटें जीतेंगे। बिहार चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को घोषित होंगे।

बिहार चुनावों का माहौल गरमाया हुआ है, जहां एनडीए में भाजपा, जेडीयू और अन्य सहयोगी दल सीट बंटवारे को लेकर आपस में लड़ रहे हैं। जेडीयू ने हाल ही में अपने 44 उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की है। जिसमें उसने चिराग पासवान की कम से कम पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। 
इसी तरह हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी ने भी चिराग की पार्टी की सीटों पर अपने कुछ उम्मीदवार उतार दिए हैं। ओबीसी के बड़े नेताओं में शुमार उपेंद्र कुशवाहा ने भी एनडीए में सीट बंटवारे के फैसले पर आपत्ति जता दी है। इस तरह एनडीए में बीजेपी को छोड़कर कोई भी दल खुश नहीं है। सूत्रों का कहना है कि खुद जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार सीट बंटवारे से खुश नहीं हैं। जेडीयू में ललन सिंह जैसे नेताओं पर पार्टी को हाईजैक कर बीजेपी की झोली में डालने का आरोप लग रहा है।
इस इंटरव्यू में नीतीश कुमार की सेहत और उनके राजनीतिक उतार-चढ़ाव को लेकर विपक्ष के हमलों का भी शाह ने जवाब दिया। तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे नेताओं द्वारा कुमार को 'जो बाइडेन' जैसी तुलना पर शाह ने कहा, "मैंने नीतीश जी से कई बार आमने-सामने या फोन पर लंबी बातचीत की है, लेकिन कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ। उम्र के कारण कुछ मुद्दे आ सकते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अकेले नहीं, उनकी पूरी टीम भी काम संभालती है।" उन्होंने कुमार के राजनीतिक सफर का बचाव करते हुए कहा कि कुमार कांग्रेस के साथ महज 2.5 साल ही रहे, बाकी जिंदगी कांग्रेस विरोध में बीती। 1974 का जेपी आंदोलन इसका उदाहरण है, जो इंदिरा गांधी के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन बना और इमरजेंसी का कारण बना।

अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव के शासन का कड़वा अनुभव बिहार की जनता को दोबारा नहीं चाहिए। उन्होंने कांग्रेस को ललकारते हुए कहा, "दूसरों को छोटा समझकर और छोटा सोचकर कांग्रेस खुद छोटी हो गई है। बिहार से बंगाल तक कांग्रेस का वर्चस्व खत्म हो गया है, क्योंकि वह छोटे सहयोगियों के प्रति घमंडी रही।"
अमित शाह का यह इंटरव्यू ऐसे समय आया है, जब बिहार में चुनाव प्रचार शुरू हो चुका है। नामांकन का शुक्रवार को आखिरी दिन है।