बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 121 सीटों पर नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि में महज कुछ घंटे रह गए हैं और महागठबंधन में अब तक सीट बँटवारा नहीं हो पाया है। पहले तो आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बँटवारे पर पेच फँसे होने की रिपोर्टें आ रही थीं, लेकिन गुरुवार सुबह तो मुकेश सहनी की नाराज़गी और प्रेस कॉन्फ़्रेंस की घोषणा से इंडिया गठबंधन में हलचल मच गई। बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस को टाल दिया गया और फिर रद्द कर दिया गया। और इस बीच ख़बर आ रही है कि मुकेश सहनी 15 सीटों पर मान गए हैं। तो क्या अब महागठबंधन का सीट बँटवारा फाइनल हो गया? तो इसकी घोषणा कब होगी?

दरअसल, विपक्षी महागठबंधन में सीट बँटवारे को लेकर गंभीर संकट तब गहरा गया जब महागठबंधन के छोटे सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी के नेता मुकेश साहनी ने बुधवार रात को गठबंधन से बाहर निकलने की धमकी दे दी थी। गुरुवार को सुबह तो उन्होंने 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की घोषणा भी कर दी थी। सहनी ने राहुल गांधी को इसको लेकर चिट्ठी भी लिखी। रिपोर्ट है कि इसके बाद राहुल गांधी ने सहनी से बात की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद से फोन पर बातचीत कर विवाद सुलझाने की कोशिश की, लेकिन देर शाम तक कोई सफलता मिलने की ख़बर नहीं आई।
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सहनी मान गए?

देर रात को ख़बरें आई हैं कि मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सहमत हो गई है। एनडीटीवी ने ख़बर दी है कि सहनी ने बातचीत में सफलता के लिए भाकपा (माले) नेता दीपंका भट्टाचार्य का धन्यवाद किया। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सीट बंटवारे की विस्तृत जानकारी जल्द ही जारी होने की संभावना है।

इससे पहले सहनी ने कम से कम 24 सीटें मांगी थीं। सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही थी, लेकिन अटकलें तेज़ थीं कि अगर चीज़ें उनके मनमुताबिक नहीं हुईं तो वीआईपी नेता महागठबंधन छोड़ देंगे। ताज़ा घोषणा ने इस चर्चा पर पूर्ण विराम लगा दिया है।

महागठबंधन में सहमति बनी?

महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी, वाम दलों और अन्य छोटे दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर असहमति है। कहा जा रहा है कि आरजेडी ने छोटे सहयोगियों जैसे वीआईपी और वाम दलों को अधिक स्थान देने का तर्क देते हुए कांग्रेस को कम सीटें देने का प्रस्ताव रखा। 

कांग्रेस ने दावा किया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव द्वारा आयोजित मतदाता अधिकार यात्रा के बाद कांग्रेस को करीब 60 सीटें मिलनी चाहिए। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 19 पर जीत हासिल की थी।

आरजेडी-कांग्रेस में असहमति क्यों?

भागलपुर जिले की काहलगांव विधानसभा सीट पर विवाद सबसे ज़्यादा है। 2020 में कांग्रेस ने यहां से शुभानंद मुकेश को टिकट दिया था, लेकिन भाजपा के पवन कुमार यादव ने 42,893 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस बार आरजेडी ने काहलगांव का टिकट यादव समुदाय के एक उम्मीदवार को देने का वादा कर दिया, बिना कांग्रेस से सलाह लिए। इससे कांग्रेस नाराज हो गई। ऊपर से तेजस्वी यादव ने अपनी चुनावी सभा का शुभारंभ काहलगांव से ही किया, जहां वे आरजेडी के चुने हुए प्रत्याशी रजनीश यादव के साथ मंच साझा करने वाले थे। रजनीश झारखंड में मंत्री संजय यादव के पुत्र हैं। कांग्रेस का कहना है कि उसे केवल मुश्किल सीटें नहीं थोपी जानी चाहिए; कम से कम वे सीटें तो मिलनी ही चाहिए जहां उन्होंने 2020 में जीत दर्ज की हो या दूसरे स्थान पर रही हों।

वैशाली जिले की वैशाली सीट पर भी कांग्रेस का पुराना दावा है। 2020 में यहां से कांग्रेस के संजीव सिंह ने जेडीयू के सिद्धार्थ पटेल से महज 7,413 वोटों के मामूली अंतर से हार का सामना किया था। कांग्रेस अब सिंह को दोबारा टिकट देने पर अड़ी हुई है, ताकि संकरी हार को जीत में बदला जा सके। आरजेडी की ओर से इस पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बनी है, जिससे तनाव बढ़ गया है। दरभंगा जिले की जलालगढ़ सीट पर कांग्रेस मोहम्मद नौशाद आलम को उतारना चाहती है। लेकिन आरजेडी नेतृत्व को लगता है कि इससे एनडीए को पूरे बिहार में फायदा हो सकता है और यह कदम प्रतिकूल साबित हो सकता है।
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छोटे सहयोगियों का असंतोष

इन तीन सीटों के अलावा कुल सीट बंटवारे पर भी पेंच फंसा है। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ज़्यादा सीटें चाहते हैं। सहनी ने बुधवार रात गठबंधन छोड़ने का मन बना लिया था। वहीं, 2020 में 12 सीटें जीतने वाली सीपीआई(एमएल) एल को भी 20 सीटें देने की बात चल रही है। यदि वीआईपी को अधिक सीटें मिलीं तो वाम दल नाराज हो सकते हैं। अन्य सहयोगियों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) को प्रत्येक को दो-दो सीटें मिलने की संभावना है।

कांग्रेस का एकतरफा ऐलान

गठबंधन का समझौता नहीं होने के बावजूद कांग्रेस ने बुधवार रात एक्स पर 13 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर कई को चौंका दिया। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम को कुटुंबा सीट से टिकट शामिल है। यह घोषणा तेजस्वी यादव द्वारा राघोपुर से नामांकन दाखिल करने के कुछ घंटे बाद की गई। सूची में बछवाड़ा सीट से बिहार यूथ कांग्रेस अध्यक्ष प्रकाश गरीब दास को उम्मीदवार बनाया गया है। इससे सीपीआई नाराज हो गई, क्योंकि वह बछवाड़ा से अपने नेता अवधेश कुमार राय को टिकट चाहती थी। राय 2020 में महज 484 वोटों से हारे थे। 
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पहले चरण के नामांकन का आख़िरी दिन

पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा, जिसके लिए नामांकन की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है। दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को निर्धारित है, जिसमें नामांकन 20 अक्टूबर तक दाखिल किए जा सकेंगे। महागठबंधन के नेताओं ने कई स्तरों पर फोन पर चर्चा की, लेकिन गुरुवार शाम तक कोई ब्रेकथ्रू नहीं मिला। हालाँकि, देर रात तक मुकेश सहनी के मान जाने की ख़बरें हैं। फिर भी अभी यह साफ़ नहीं हुआ है कि इंडिया गठबंधन में पूरी तरह सहमति बनी है या नहीं।