बिहार चुनावी जंग में आरोप-प्रत्यारोप तेज़। कांग्रेस ने बीजेपी-जेडीयू पर ‘पलायन उद्योग’ खड़ा करने का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी ने लालू और राबड़ी के दौर को ‘जंगलराज’ बताकर पलटवार किया। 
बिहार चुनाव का असली मुद्दा क्या है? पलायन की समस्या या फिर 20 साल पहले का 'जंगलराज'? सोमवार को ये दोनों मुद्दे छाए रहे। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने आरोप लगाया कि लालू राबड़ी के राज में यहां जंगलराज था और नीतीश कुमार ने विकास के रास्ते खोल दिए। वहीं कांग्रेस ने दावा किया है कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन ने 20 सालों के शासन में बिहार को उद्योगों से खाली कर केवल 'पलायन उद्योग' स्थापित किया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिहार की एक रैली में कहा कि 20 साल में नीतीश कुमार न बिहार से पलायन रोक पाए और न ही गरीबी ख़त्म कर पाए। उन्होंने कहा कि लाखों लोग पलायन करते रहे और नौजवानों को नौकरी नहीं मिली।
इस बीच, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि असीमित औद्योगिक क्षमता वाला राज्य बिहार राष्ट्रीय विकास और उद्योग के नक्शे से लगभग मिट चुका है। उन्होंने कहा कि बिहार को पुनर्निर्माण चाहिए, न कि पलायन। कांग्रेस का यह हमला बिहार की आर्थिक बदहाली, बेरोजगारी और बड़े पैमाने पर पलायन पर केंद्रित है। रमेश ने स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस शासित अविभाजित बिहार में लगाए गए उद्योगों का जिक्र करते हुए मौजूदा सरकार पर 'भ्रष्ट और अव्यवस्थित नीतियों' से मौजूदा इकाइयों को बर्बाद करने का आरोप लगाया। 
जयराम रमेश का आरोप 
जयराम रमेश ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस सरकारों ने अविभाजित बिहार में कई औद्योगिक इकाइयां लगाईं, जिससे राज्य देश के औद्योगिक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित हो गया। उस दौर में बिहार का विकास भारी उद्योगों, ऊर्जा, डेयरी और रेल उत्पादन के इर्द-गिर्द तेजी से घूमता था। उन्होंने प्रमुख औद्योगिक इकाइयों की सूची दी-
- बारौनी ऑयल रिफाइनरी: बिहार को ऊर्जा उत्पादन केंद्र बना दिया।
 - सिंदरी और बारौनी उर्वरक संयंत्र: देश की उर्वरक सुरक्षा को मजबूत किया।
 - बारौनी डेयरी: आज की सुधा डेयरी की नींव रखी।
 - रेल व्हील प्लांट, बेला
 - डीजल लोकोमोटिव प्लांट, मरहौरा; नबीनगर थर्मल प्रोजेक्ट
 - सुधा कोऑपरेटिव डेयरी नेटवर्क।
 
जयराम रमेश ने कहा, 'एक तरफ कांग्रेस सरकारों ने विजन के साथ बिहार का औद्योगिक आधार तैयार किया, वहीं बीजेपी-जेडीयू सरकार ने एक भी बड़ा उद्योग स्थापित नहीं किया। बल्कि अपनी भ्रष्ट और अव्यवस्थित नीतियों से मौजूदा उद्योगों को तबाह कर दिया।'
चीनी मिलों से जूट-रेशम उद्योग तक बर्बादी
कांग्रेस नेता ने बिहार के उद्योगों की मौजूदा स्थिति के लिए एनडीए सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा कि बिहार में कभी 33 से अधिक चीनी मिलें थीं, जो देश के कुल चीनी उत्पादन का लगभग 40 फीसदी योगदान देती थीं। आज अधिकांश बंद पड़ी हैं– साकरी, रायम, लोहत, मोतिपुर, बनमनखी, मोतिहारी आदि। उन्होंने आरोप लगाया कि मशीनों को ट्रकों पर लादकर स्क्रैप के रूप में बेच दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हर चुनाव में इन्हें चालू करने का वादा करते हैं, लेकिन एक के बाद एक मिल बंद होती जा रही है।
जूट उद्योग की भी यही हालत है। रमेश ने कहा, 'समस्तीपुर की रामेश्वर जूट मिल 2017 से बंद पड़ी है। भागलपुर का प्रसिद्ध रेशम उद्योग अंतिम सांसें ले रहा है। स्पन सिल्क फैक्टरी वर्षों से बंद है। 95 फीसदी बुनकर परिवार कर्ज और गरीबी में डूबे हैं।' उन्होंने कहा कि आशोक पेपर मिल का 400 एकड़ परिसर खंडहर हो गया है, मशीनें जंग खा रही हैं और मजदूर बेघर हो गए।
जयराम रमेश ने कहा, 'मुख्यमंत्री कहते हैं– बड़े उद्योग समुद्र के किनारे लगते हैं। केंद्रीय मंत्री कहते हैं– बिहार में उद्योग के लिए जमीन नहीं। फिर भी प्रधानमंत्री के चहेते उद्योगपतियों को 1 रुपये प्रति एकड़ जमीन सौंप दी जाती है।' उन्होंने सवाल उठाया कि जब कांग्रेस ने समुद्र से कटे बिहार में बारौनी, सिंदरी, हटिया और बोकारो जैसे भारी उद्योग लगाए, तो आज उद्योग लगाना असंभव क्यों कहा जा रहा है?
नीतीश 20 साल में पलायन नहीं रोक पाए: खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एनडीए सरकार पर पलायन के लिए हमला किया। उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार ने 9 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन उन्होंने जनता की कभी सुध नहीं ली। 20 साल में नीतीश कुमार न बिहार से पलायन रोक पाए और न ही गरीबी ख़त्म कर पाए। लाखों लोग पलायन करते रहे, नौजवानों को नौकरी नहीं मिली। अगर 20 साल में नीतीश कुमार ये सब काम नहीं कर पाए तो अब उन्हें सत्ता में रहने का कोई हक़ नहीं है।'
जंगलराज वालों ने फैक्ट्रियों में ताले लगवाए: पीएम
प्रधानमंत्री मोदी ने कटिहार में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए लालू-राबड़ी के शासनकाल को 'जंगलराज' क़रार देते हुए कहा कि इन्होंने मिलों और फैक्ट्रियों में ताले लगवाए। प्रधानमंत्री ने कहा, 'जिनका रिकॉर्ड रंगदारी, फिरौती और अपहरण का है, मिलों और फैक्ट्रियों में ताले लगवाने का है, वो बिहार में उद्योग नहीं ला सकते हैं। एनडीए ने बिहार के एक करोड़ युवाओं को नौकरी देने की घोषणा की है, साथ ही रोजगार कैसे देंगे, ये प्लान भी बताया है।'
पीएम मोदी ने आरोप लगाया, 'कांग्रेस और आरजेडी के लोगों को कट्टा और कट्टरपंथी दोनों ही पसंद हैं। जब भी भाजपा-एनडीए घुसपैठियों को देश से बाहर करने की बात करती है। ये तुरंत घुसपैठियों के बचाव में खड़े हो जाते हैं।'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी 'जंगल राज' को मुद्दा बनाया। उन्होंने कहा, 'लालू राबड़ी के राज में यहां जंगलराज था, अंधेरराज था। रंगदारी के कारण हमारी चीनी मिल बंद हो गई थी, बरौनी का कारखाना बंद हो गया था, पेट्रोलियम कॉम्प्लेक्स आता नहीं था, बिजली के कारखाने लगते नहीं थे। नीतीश बाबू ने जंगलराज को समाप्त कर विकास के रास्ते खोल दिए हैं। रीगा चीनी मिल की तरह हम सारे बंद कारखाने फिर से चालू करेंगे।'
उन्होंने राहुल और तेजस्वी पर हमला करते हुए कहा, 'लालू अपने बेटे को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, और सोनिया गांधी अपने बेटे को देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहती हैं। मैं आज बता दूं कि न लालू जी का बेटा मुख्यमंत्री बनेगा और न ही सोनिया जी का बेटा देश का प्रधानमंत्री बनेगा। क्योंकि बिहार में नीतीश जी हैं और देश में मोदी जी हैं।'
बहरहाल, चुनाव में रोजगार, पलायन का यह मुद्दा निर्णायक साबित हो सकता है। विपक्ष पलायन और बेरोजगारी पर जोर दे रहा है, जबकि एनडीए 20 साल पहले के कथित 'जंगलराज' की याद दिलाकर और विकास का दावा कर रहा है। बिहारवासी बदलाव चाहते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वादे हकीकत बनेंगे? 6 और 11 नवंबर को मतदान है और 14 नवंबर को नतीजे घोषित होने पर पता चलेगा कि कौन से वादे को लोगों ने स्वीकारा।