राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के बाद भी मोदी सरकार ने तीन तलाक़ बिल को वहाँ से भी पारित करवा लिया है। इसके बाद जहाँ केंद्र सरकार और विशेष कर बीजेपी इसे मानवता, महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने वाला विधेयक बता रही है, वहीं बीजेपी की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड यानी जदयू का इस बिल पर विरोध रहा है। पार्टी का कहना है कि बिल पर सरकार को मुसलिम समुदाय के साथ बात करनी चाहिए थी और इस पर उनकी सहमति ज़रूरी थी। पार्टी के मुताबिक़ इस मामले पर अभी समाज में और जन जागरण की ज़रूरत है।
तीन तलाक़ पर दोहरे रवैये से नीतीश को मुश्किल
- बिहार
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- 4 Aug, 2019

फ़ाइल फ़ोटो
तीन तलाक़ पर अपने रवैये से जदयू ने केंद्र में अपनी गठबंधन की मोदी सरकार का रास्ता तो आसान कर दिया लेकिन क्या इससे ख़ुद उसकी आगे की राह मुश्किल हो गई है?
लेकिन बीते मंगलवार को तीन तलाक़ बिल के मुद्दे पर लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी जदयू का विरोध छुपे समर्थन के रूप में सामने आया। जदयू के सभी राज्यसभा सांसदों ने बजाय मतदान में भाग लेने के सदन का बहिष्कार कर दिया। इससे केंद्र सरकार को न केवल राहत मिली बल्कि इस बिल के राज्यसभा में पारित होने का रास्ता भी आसान हो गया।