हरियाणा में 2017 के बहुचर्चित वर्णिका कुंडू स्टॉकिंग मामले में आरोपी और पूर्व हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला को राज्य सरकार ने सहायक महाधिवक्ता (Assistant Advocate General) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति 18 जुलाई को जारी सरकारी अधिसूचना के तहत की गई, जिसमें विकास बराला सहित 100 से अधिक कानून अधिकारियों को नियुक्त किया गया। विकास को दिल्ली में महाधिवक्ता कार्यालय में सहायक महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति ने महिलाओं की सुरक्षा और राजनीतिक प्रभाव से जुड़े सवालों को फिर से चर्चा में ला दिया है।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाषा बराला को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का नजदीकी बताया जाता है। जब बराला चुनाव नहीं जीत सके तो उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था। उसके बाद उन्हें राज्यसभा के जरिए महत्व दिया गया। एक समय उन्हें मनोहर लाल खट्टर के बाद सीएम बनाने पर भी विचार हो चुका है।

क्या था मामला  

वर्णिका कुंडू, जो एक डिस्क जॉकी हैं और पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वीएस कुंडू की बेटी हैं, ने 4 अगस्त 2017 की रात को चंडीगढ़ में अपने साथ हुई स्टॉकिंग की घटना की शिकायत दर्ज की थी। वर्णिका ने आरोप लगाया था कि विकास बराला और उनके दोस्त अशीष कुमार ने उनकी कार का पीछा किया, उनकी राह रोकने की कोशिश की और उनकी गाड़ी में घुसने का प्रयास किया। इस घटना ने देशभर में महिलाओं की सुरक्षा और राजनीतिक रसूख के दुरुपयोग को लेकर व्यापक बहस छेड़ दी थी।

मौजूदा मुकदमे की स्थिति**

इस मामले में चंडीगढ़ की एक अदालत ने अक्टूबर 2017 में विकास बराला और अशीष कुमार के खिलाफ स्टॉकिंग (आईपीसी धारा 354डी), गलत तरीके से रोकने (धारा 341), अपहरण का प्रयास (धारा 365 और 511) और शराब पीकर गाड़ी चलाने जैसे आरोप तय किए थे। वर्तमान में यह मामला चंडीगढ़ की एक ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अदालत में चल रहा है, जहां अभियोजन पक्ष के साक्ष्य पूरे हो चुके हैं और बचाव पक्ष के गवाहों की जांच चल रही है। वर्णिका ने इस मामले में देरी पर निराशा जताई है और कहा है कि आठ साल बाद भी उन्हें न्याय का इंतजार है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस नियुक्ति को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ यूजर्स ने इसे हरियाणा सरकार के स्वच्छ छवि पर दाग बताया है। एक यूजर ने लिखा, "यह नियुक्ति नायब सैनी सरकार की स्वच्छ छवि को धूमिल करेगी।" वहीं, कुछ ने सवाल उठाया कि क्या विकास बराला को इस मामले में बरी कर दिया गया है।
विकास बराला और उनके दोस्त अशीष कुमार को घटना के समय शराब के नशे में होने का आरोप है। पुलिस ने उनके खिलाफ गैर-जमानती धाराएं भी जोड़ी थीं, लेकिन विकास को चार बार जमानत याचिका खारिज होने के बाद दिसंबर 2017 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। इस मामले में बचाव पक्ष ने यह दलील दी थी कि वर्णिका और उनके पिता के बयानों में विरोधाभास हैं और उनका इरादा अपहरण का नहीं था।
बहरहाल, विकास बराला की सहायक महाधिवक्ता के रूप में नियुक्ति ने एक बार फिर इस मामले को सुर्खियों में ला दिया है। यह नियुक्ति न केवल कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे राजनीतिक प्रभाव और शक्ति का उपयोग विवादास्पद मामलों में देखा जाता है। इस बीच, वर्णिका कुंडू और उनके परिवार का न्याय के लिए इंतजार जारी है।[

वर्णिका कुंडू का बयान

वर्णिका ने इस नियुक्ति पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, "ऐसी नियुक्तियां सरकार का विशेषाधिकार हैं, और मैं इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगी।" हालांकि, उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया में देरी पर निराशा व्यक्त की और कहा, "मुझे अभी भी न्यायपालिका पर भरोसा है, लेकिन बार-बार स्थगन के कारण मेरा विश्वास डगमगा रहा है। आठ साल से यह मामला चल रहा है, और यह एक लंबा इंतजार है।"