Vote Chori Bihar SIR Controversy: चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची में 2.92 लाख मतदाताओं का मकान संख्या '0' दर्ज है। इससे मतदाता सूची की सटीकता को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। यह जांच मीडिया की प्रतिष्ठित वेबसाइट न्यूज लॉन्ड्री ने कही है। पढ़िए पूरी रिपोर्टः
बिहार की मतदाता सूची में एक चौंकाने वाली खामी सामने आई है। न्यूज़लॉन्ड्री की एक विशेष जांच के अनुसार, विशेष गहन संशोधन (SIR) के बाद तैयार की गई बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची में 2,92,048 मतदाताओं का मकान नंबर '0', '00' या '000' दर्ज है। यह सूची 1 अगस्त को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई थी।
बिहार के चुनाव अधिकारी ने ग़लती मानी
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के एक अधिकारी, उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी अशोक प्रियदर्शी ने स्वीकार किया कि इस तरह की "त्रुटियां" मतदाता सूची में आ जाती हैं। उन्होंने कहा, "कभी-कभी मतदाता अपने मकान नंबर नहीं भरते। हालांकि, ईसीआई की वेबसाइट ऐसी (नामांकन) अर्जियों को स्वीकार कर लेती है। इसलिए मकान नंबर का डिफॉल्ट मान '0' दिखाया जाता है। हम इसे सुधारने की कोशिश करेंगे।"इन जिलों में ज़ीरो पते वाले वोटरों की भरमार
जांच में पाया गया कि मगध और पटना क्षेत्रों में सबसे अधिक मतदाता '0' मकान नंबर के साथ दर्ज हैं। औरंगाबाद जिले की ओबरा विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 6,637 ऐसे मतदाता हैं, इसके बाद फुलवारी (5,905), मनेर (4,602), फोर्ब्सगंज (4,155), दानापुर (4,063), गोपालगंज (3,957), पटना साहिब (3,806), हाजीपुर (3,802), दरभंगा (3,634) और गया टाउन (3,561) हैं। इनमें से सात क्षेत्र, फोर्ब्सगंज, हाजीपुर और दरभंगा को छोड़कर, पटना क्षेत्र में आते हैं, जो राज्य का सबसे विकसित हिस्सा है।विपक्ष का आरोप
विपक्षी दलों ने एसआईआर की आलोचना की है, उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया मतदान से बड़े पैमाने पर लोगों को बाहर करने का कारण बनेगी। प्रारंभिक मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं को हटा दिया गया, जिसमें 22 लाख मृत, 36 लाख स्थानांतरित या अनुपस्थित और 7 लाख डुप्लिकेट पंजीकरण के कारण हटाए गए।
निर्वाचन आयोग ने 24 जून को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि एसआईआर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और कोई अपात्र मतदाता सूची में शामिल न हो। इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसरों को घर-घर जाकर प्रत्येक मतदाता से गणना पत्र एकत्र करना था। जो लोग गणना पत्र जमा करने में सफल रहे, वे प्रारंभिक मतदाता सूची में शामिल हुए और अब उन्हें 1 सितंबर तक सहायक दस्तावेज जमा करके अपनी नागरिकता साबित करनी होगी।
हालांकि, इस प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग बीजेपी के साथ मिलकर मतदाता सूची में हेरफेर कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची से हटाए गए नाम और नए जोड़े गए मतदाता बीजेपी के पक्ष में हैं।
न्यूज़लॉन्ड्री की जांच में यह भी सामने आया कि कुछ मतदाताओं के पते गलत दर्ज किए गए हैं, जैसे कि एक मतदाता का पता "श्मशान घाट" और कुछ का पता पूरी तरह खाली था। यह स्थिति बिहार में मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है और निर्वाचन आयोग से 65 लाख हटाए गए मतदाताओं का विवरण मांगा है। विपक्षी दलों और गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने इस प्रक्रिया को चुनौती दी है, जिस पर सुनवाई 12 और 13 अगस्त को होनी है। यह विवाद बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले और गहरा गया है, जहां विपक्ष का दावा है कि यह प्रक्रिया बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है।