किसान नेताओं ने कहा है कि बातचीत के लिए शर्त रखना किसानों का अपमान है। इसके साथ ही उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह की बातचीत की पेशकश को ठुकरा दिया है। गृह मंत्री ने एक दिन पहले ही कहा था कि सरकार किसानों की सभी माँगों पर बात करने को तैयार है बशर्ते वे सरकार द्वारा तय जगह पर चले जाएँ। लेकिन किसानों ने यह मानने से इनकार कर दिया है। अब किसान आरपार के मूड में हैं।
बातचीत के लिए शर्त किसानों का अपमान: किसान नेता
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- 29 Nov, 2020
किसानों ने गृह मंत्री अमित शाह की बातचीत की पेशकश को ठुकरा दिया है। गृह मंत्री ने एक दिन पहले ही कहा था कि सरकार किसानों की सभी माँगों पर बात करने को तैयार है बशर्ते वे सरकार द्वारा तय जगह पर चले जाएँ।

बीकेयू क्रांतिकारी (पंजाब) के राज्य अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, 'बातचीत के लिए सामने रखी गई शर्त किसानों का अपमान है। हम कभी बुराड़ी (दिल्ली) नहीं जाएँगे। यह एक पार्क नहीं बल्कि एक खुली जेल है।' उन्होंने कहा, 'बुराड़ी में खुली जेल में जाने के बजाय, हमने तय किया है कि हम दिल्ली में 5 मुख्य प्रवेश की जगहों को बंद करके दिल्ली का घेराव करेंगे।' किसानों ने चार माँगें भी सामने रखीं, जिनमें एमएसपी की गारंटी, तीन कृषि बिलों को ख़त्म करना, बिजली अध्यादेश को रोकने और पराली जलाने पर जुर्माने को ख़त्म करना शामिल है।
गृह मंत्री की पेशकश को ठुकराने का सीधा मतलब यह है कि किसान अपनी शर्तों पर ही प्रदर्शन करते रहेंगे और नये कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने पर अड़े रहेंगे। किसान नये कृषि क़ानूनों को कृषि विरोधी बता रहे हैं। उन्हें डर है कि नये प्रावधान से मंडी व्यवस्था, न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान ख़त्म हो जाएगा और कृषि पर उद्योगपतियों का कब्ज़ा हो जाएगा। इसी के ख़िलाफ़ पंजाब और हरियाण के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और वे दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं।