भारत और चीन के रिश्तों में सुधार पर बड़ा फ़ैसला लिया गया है। दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने, सीधी उड़ानों को बहाल करने और वीजा नियमों में ढील देने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही विवाद वाली सीमा के निर्धारण के प्रयास तेज होंगे। यह निर्णय दोनों देशों के बीच 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद तनावपूर्ण रहे संबंधों में सुधार का संकेत है। यह कदम, ट्रंप के टैरिफ़, वैश्विक व्यापार और अमेरिकी व्यापार नीतियों के प्रभाव के बीच उठाया गया है। 

भारत और चीन ने प्रमुख सीमा बिंदुओं के माध्यम से व्यापार को फिर से शुरू करने के लिए बातचीत को तेज कर दिया है। दोनों पक्षों ने नई दिल्ली में सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वें दौर की वार्ता भी संपन्न की, जिसकी सह-अध्यक्षता एनएसए अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने की। सीमा व्यापार दोनों देशों के बीच सांकेतिक महत्व रखता है। यह व्यापार 2020 के पूर्वी लद्दाख सैन्य गतिरोध के बाद बंद कर दिया गया था। अब, दोनों पक्ष इस व्यापार को फिर से शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और आपसी सहयोग को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। फ़िलहाल, चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत के दौरे पर हैं और उन्होंने पीएम मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल सहित कई नेताओं के साथ बैठक की है।

सीमा विवाद सुलझाने के प्रयास

भारत और चीन ने सीमा विवाद के समाधान पर काम करने का निर्णय लिया है तथा सीमा निर्धारण के शीघ्र समाधान की तलाश के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के बाद सीमा मुद्दे के निष्पक्ष, तर्कसंगत और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए स्थिर और रचनात्मक भारत-चीन संबंध अत्यंत ज़रूरी हैं। उन्होंने कहा कि वह तियानजिन में आगामी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के लिए उत्सुक हैं।

सीधी उड़ानों की बहाली

भारत और चीन के बीच सीधी यात्री उड़ानों को फिर से शुरू करने की दिशा में भी अहम प्रगति हुई है। कोविड-19 महामारी और 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से दोनों देशों के बीच उड़ानें निलंबित थीं। अब, दोनों पक्ष एक नए हवाई सेवा समझौते पर विचार कर रहे हैं, लेकिन यदि इसमें देरी होती है तो मौजूदा ढांचे के तहत उड़ानें शुरू की जा सकती हैं।

भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय और चीन के समकक्ष अधिकारियों ने इस संबंध में एक दौर की वार्ता पूरी कर ली है और जल्द ही उड़ानों की बहाली की घोषणा की उम्मीद है। एयर इंडिया सहित कई भारतीय एयरलाइंस इस कदम की तैयारी कर रही हैं। दोनों देशों की आबादी को देखते हुए सीधी उड़ानों की बहाली व्यापार, पर्यटन और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देगी।

वीजा नियमों में ढील

भारत ने 24 जुलाई 2025 से चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा फिर से शुरू करने की घोषणा की है, जो पांच साल बाद पहली बार हुआ है। यह कदम 2020 के गलवान संघर्ष और कोविड-19 महामारी के कारण लगाए गए प्रतिबंधों के बाद आया है। भारतीय दूतावास ने बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझू में वीजा आवेदन केंद्रों में आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की जानकारी दी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे दोनों देशों के बीच लोगों के आदान-प्रदान को बढ़ाने वाला सकारात्मक कदम बताया है।

दोनों देश पर्यटकों, व्यापारियों, मीडिया और अन्य के लिए वीजा सुविधाओं को और आसान बनाने पर सहमत हुए हैं। इससे पहले, चीन ने 2022 में भारतीय छात्रों और व्यापारियों के लिए वीजा प्रतिबंध हटा दिए थे और मार्च 2025 में भारतीय नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा बहाल किए थे।

कैलाश मानसरोवर यात्रा 

दोनों देशों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर भी सहमति जताई है जो 2020 के बाद से बंद थी। इस साल जून में शुरू हुई यह यात्रा अगस्त तक जारी रहेगी और 2026 में इसका दायरा और बढ़ाया जाएगा। यह यात्रा भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है और इसे दोनों देशों के बीच सद्भावना बढ़ाने के लिए अहम माना जा रहा है। इसके साथ ही दोनों देश 2025 में अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ को संयुक्त रूप से मनाने और 2026 में भारत और 2027 में चीन में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलनों का समर्थन करने पर सहमत हुए हैं।

वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल

यह समझौता ऐसे समय में आया है जब वैश्विक व्यापार व्यवस्था में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों के कारण उथल-पुथल मची हुई है। भारत और अमेरिका के बीच तनाव ने भारत को अपनी रणनीतिक साझेदारियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है।
भारत और चीन के बीच 2020 का गलवान घाटी संघर्ष ने दोनों देशों के संबंधों को गहरी चोट पहुंचाई थी। इसके बाद भारत ने चीनी निवेश पर कड़े प्रतिबंध लगाए, सैकड़ों चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया और यात्री उड़ानों को निलंबित कर दिया। हाल के वर्षों में दोनों देशों ने उच्च-स्तरीय बैठकों के माध्यम से तनाव को कम करने की दिशा में कदम उठाए हैं। अक्टूबर 2024 में रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात ने इन प्रयासों को गति दी।
यह समझौता भारत-चीन संबंधों में एक नई शुरुआत का संकेत देता है। दोनों देशों ने सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक भारत में आयोजित करने और सीमा मामलों पर नियमित राजनयिक और सैन्य स्तर की बातचीत बनाए रखने पर सहमति जताई है। सोमवार को दिल्ली पहुँचे चीनी विदेश मंत्री वांग ने मोदी को शंघाई सहयोग संगठन बैठक के लिए शी जिनपिंग का संदेश और निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगस्त 2025 में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन की संभावित यात्रा इस प्रक्रिया को और मजबूत कर सकती है।