पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने एक इंटरव्यू में बताया कि भारत ने साफ-साफ कह दिया है कि हम भारत और पाकिस्तान के बीच के मुद्दों पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं चाहते हैं। यानी, भारत ने अमेरिका जैसे देशों की दखलअंदाजी का प्रस्ताव ठुकरा दिया है।
कतर की राजधानी दोहा में इसहाक़ डार ने अल जज़ीरा को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। डार ने इस इंटरव्यू में बताया कि भारत ने अमेरिका को साफ-साफ बता दिया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच की बातचीत सिर्फ द्विपक्षीय यानी सिर्फ दोनों देशों के बीच ही होनी चाहिए। अब सवाल ये उठता है कि क्या पाकिस्तान तीसरे देश की मदद चाहता है? इस पर डार का जवाब था, "नहीं, हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन भारत कह रहा है कि ये द्विपक्षीय मामला है। तो हमें भी इससे दिक्कत नहीं।"

अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने सीजफायर की पेशकश की थी

डार ने बताया कि 10 मई को सुबह करीब 8:17 मिनट पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने युद्धविराम की पेशकश की थी। उस वक्त कहा गया था कि जल्द ही भारत और पाकिस्तान के बीच कहीं न कहीं बातचीत होगी। लेकिन जब 25 जुलाई को वाशिंगटन में रूबियो से मिले, तो डार ने पूछा, "भारत से बातचीत का क्या हुआ?" रूबियो ने जवाब दिया कि भारत कह रहा है कि ये सिर्फ दोनों देशों यानी कि भारत पाकिस्तान का मामला है।
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डार ने आगे कहा, "हम शांतिप्रिय देश हैं, हम बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए तो दो की जरूरत होती है ! अगर भारत तैयार नहीं, तो हम उसे मजबूर थोड़े ही करेंगे।"
डार की ये बातें भारत की पुरानी पॉलिसी से मैच करती हैं। आपको बता दें कि 1972 में शिमला समझौते में भारत और पाकिस्तान ने तय किया था कि उनके बीच के सारे मुद्दे सिर्फ दोनों देशों के बीच ही सुलझाए जाएंगे। फिर 1999 में, जब अटल बिहारी वाजपेयी बस लेकर लाहौर गए और नवाज शरीफ से मिले, तो लाहौर घोषणा में भी यही बात दोहराई गई।

डार के बयान से ट्रंप के दावों पर उठा सवाल

मतलब साफ है, भारत का कहना है कि तीसरा देश इसमें दखल न दे। डार के इस बयान के बाद भारत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन दावों पर सवाल उठा है जिसमें ट्रंप ने कई बार यह बात दोहराई थी कि उन्होंने भारत-पाक से अमेरिकी व्यापार बंद करने की धमकी दे कर युद्ध विराम कराया था। भारत सरकार लगातार यह बात कहती रही है कि युद्ध विराम में अमेरिका या किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी।

पाकिस्तान की मांग पर बात हुई थी

इस मामले पर जब ये खबरें आई थीं कि 17 जून को ट्रंप और पीएम मोदी के बीच फोन पर 35 मिनट की बात हुई। तब विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया था कि पीएम ने ट्रंप को साफ कहा कि न तो भारत-अमेरिका ट्रेड डील की कोई बात हुई, और न ही अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की। मिस्री ने कहा, "सैन्य कार्रवाई रोकने की बातचीत दोनों देशों के सैन्य चैनलों से हुई, वो भी पाकिस्तान की मांग पर।

पाकिस्तान अब बातचीत के लिए तैयार

लेकिन इसहाक़ डार का कहना है कि पाकिस्तान ने कभी किसी से बातचीत की गुहार नहीं लगाई। लेकिन अब वो तैयार हैं भारत के साथ कश्मीर समेत हर मुद्दे पर बात करने के लिए। डार ने कहा कि पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवाद को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस लड़ाई में पाकिस्तान ने सबसे बड़ी कुर्बानियाँ दी हैं। आतंकवाद के मुद्दे पर डार ने कहा कि, "यह आश्चर्यजनक है कि आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देश पाकिस्तान पर अभी भी भारत द्वारा आरोप लगाए जा रहे हैं । 

राजनाथ सिंह ने भी साधा निशाना

डार के बयान पर बिना नाम लिए ट्रंप का ज़िक्र करते हुए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि "भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे ऑपरेशन को रोकने के संबंध में कुछ लोग दावा करते हैं कि उन्होंने इसे रोका है. यह किसी ने नहीं रोका है. पाकिस्तान के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इसहाक़ डार ने भी साफ़ कहा है कि 'इंडिया रिजेक्टेड थर्ड पार्टी रोल इन द कॉन्फ़्लिक्ट'."
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डार के बयान से ये साफ है कि अब पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार है । लेकिन भारत का कहना है कि मुद्दे सिर्फ दोनों देशों के बीच ही सुलझाए जाएं, किसी तीसरे देश की दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए। जहां एक ओर पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान बता रहा है, वहीं भारत पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढावा देने का आरोप लगाता रहता है।