ऐसे में जब बड़े पैमाने पर फ़ेक न्यूज़ फैलाई जा रही हो और फैक्ट चेक यूनिट बंद हो जाएँ या उनका संचलान बड़े पैमाने पर प्रभावित हो तो विश्वसनीय सूचनाओं और जानकारियों की क्या स्थिति होगी? कम से कम भारत में ऐसी आशंका को लेकर तब चिंताएँ पैदा होने लगीं जब मेटा ने अमेरिका में अपने थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेकिंग कार्यक्रम को ख़त्म करने की घोषणा कर दी है। हालाँकि, इसने भारत में इस तरह के कार्यक्रम को बंद करने की घोषणा नहीं की है, लेकिन यहाँ के फ़ैक्ट चेकरों में घबराहट है। ऐसा इसलिए कि यदि भारत में मेटा ने कभी इस तरह का क़दम उठा लिया तो फैक्ट चेकरों को मिलने वाले फंड पर असर पड़ सकता है और इसके अलावा इन फ़ैक्ट चेकिंग वेबसाइटों की रीडरशीप या व्यूअरशिप प्रभावित हो सकती है।
मेटा का US में थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेक बंद; भारत में फेक न्यूज़ का क्या होगा?
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- 9 Jan, 2025
मेटा ने यदि भारत में अपने थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेकिंग कार्यक्रम को बंद कर दिया तो क्या असर होगा? क्या फ़ेक ख़बरों को फिर रोका जा सकेगा?

फैक्ट चेकिंग यूनिट और वेबसाइटों पर इस तरह का असर बड़ा प्रभाव डालने वाला हो सकता है। ख़ासकर ऐसा इसलिए कि सोशल मीडिया के इस दौर में एक्स से लेकर फे़सबुक और वाट्सऐप पर फ़ेक न्यूज़ और ग़लत सूचनाओं की बाढ़ आई हुई है। किस पर भरोसा करें और किस पर नहीं, यह बड़ी चिंता का विषय है। हालाँकि, यूज़रों का एक बड़ा वर्ग इन ग़लत सूचनाओं और फ़ेक न्यूज़ को ही सच मान बैठता है। अब जाहिर है इसके नतीजे तो भयावह होंगे ही।