ऐसे में जब बड़े पैमाने पर फ़ेक न्यूज़ फैलाई जा रही हो और फैक्ट चेक यूनिट बंद हो जाएँ या उनका संचलान बड़े पैमाने पर प्रभावित हो तो विश्वसनीय सूचनाओं और जानकारियों की क्या स्थिति होगी? कम से कम भारत में ऐसी आशंका को लेकर तब चिंताएँ पैदा होने लगीं जब मेटा ने अमेरिका में अपने थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेकिंग कार्यक्रम को ख़त्म करने की घोषणा कर दी है। हालाँकि, इसने भारत में इस तरह के कार्यक्रम को बंद करने की घोषणा नहीं की है, लेकिन यहाँ के फ़ैक्ट चेकरों में घबराहट है। ऐसा इसलिए कि यदि भारत में मेटा ने कभी इस तरह का क़दम उठा लिया तो फैक्ट चेकरों को मिलने वाले फंड पर असर पड़ सकता है और इसके अलावा इन फ़ैक्ट चेकिंग वेबसाइटों की रीडरशीप या व्यूअरशिप प्रभावित हो सकती है।