पहले से ही मनरेगा के बजट में कमी की आ रही ख़बरों के बीच अब केंद्र ने पहली बार योजना के ख़र्च को पहले छह महीनों के लिए 60% तक सीमित कर दिया है। वह भी तब जब यह योजना मांग पर आधारित है। यानी रोजगार की मांग बढ़ने पर आवंटन बढ़ना चाहिए। खुद सरकार ही योजना के लिए बजट कम किए जाने की आलोचनाओं के बाद योजना के मांग पर आधारित होने का तर्क दे चुकी है। तो सवाल है कि मनरेगा के तहत लोगों को मिलने वाले रोजगार पर क्या इसका असर बुरा नहीं पड़ेगा? और मौजूदा समय में मनरेगा का क्या हाल है?