राज्यसभा में पूछे गये एक सवाल के जवाब में मोदी सरकार ने स्वीकार किया कि केंद्र सरकार की प्रमुख जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून (पीएमएलए) के तहत जितने भी मामले 2019 के बाद दर्ज किये उनमें 5% से भी कम मामलों में सजा सुनाई गई। यानी ईडी के अधिकांश मामले अदालतों में धराशायी हो गये। बार-बार इस बात की पुष्टि हुई कि ईडी सिर्फ राजनीतिक बदला लेने की भावना से ऐसे केस दर्ज करती रही है। हालांकि ईडी ने हमेशा ऐसे राजनीतिक दबाव में काम करने से इंकार किया है। लेकिन सच्चाई कहां छिपती है।
शर्म मगर उनको नहीं आतीः 2019 के बाद दर्ज पीएमएलए केसों में 5% से कम को सजा
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- 29 Mar, 2025
मोदी सरकार ने संसद को बताया है कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी कानून) के जितने भी केस 2019 के बाद दर्ज किये हैं, उसमें से पांच फीसदी से कम मामलों में सजा हुई है। ऐसे में ईडी के कृत्य और इस कानून के औचित्य पर सवाल उठना लाज़मी है।

ईडी की कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन का फाइल फोटो।