वैसे तो देश भर में जल संकट है, लेकिन देश में क़रीब 10 करोड़ लोगों के सामने भयावह स्थिति आने वाली है। क्योंकि अगले एक साल में देश के 21 प्रमुख शहरों में ज़मीन के नीचे का पानी ख़त्म हो जाएगा। नीति आयोग की 2018 की रिपोर्ट में 2020 तक इन शहरों में पानी के संकट को लेकर चेताया गया है। हालाँकि 2019 में ही ऐसी स्थिति बनती दिखने लगी है। करोड़ों लोग सिर्फ़ उन शहरों में ही प्रभावित नहीं हो रहे हैं, बल्कि पूरे देश के कई हिस्सों में ऐसी स्थिति है। भारत में कुछ स्थानों पर आपदा पहले ही आ चुकी है। देश के छठे सबसे बड़े शहर चेन्नई में पानी आपूर्ति करने वाले चार जलाशय लगभग सूखे हैं। बता दें कि मानसून देश के केवल कुछ ही हिस्सों में पहुँचा है। जहाँ यह पहुँचा भी है उनमें से अधिकतर जगहों पर देरी हुई है और औसत से काफ़ी कम बारिश हुई है। अधिकतर जलाशय सूख चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जल संकट को दूर करने के लिए सिर्फ़ मानसून पर ही निर्भर रहना काफ़ी होगा? जल प्रबंधन के लिए सरकारी प्रयास कितने कारगर रहे हैं?