स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि फिलहाल सामुदायिक संक्रमण का दौर शुरू नहीं हुआ है। यह संक्रमण स्थानीय स्तर पर ही हो रहा है और सीमित सामुदायिक संक्रमण की स्थिति में है। 
स्वास्थ्य मंत्रालय के लव अग्रवाल ने कहा है, 'हम इसे कहीं भी सामुदायिक संक्रमण नहीं कह रहे हैं। हम अभी भी स्थानीय संक्रमण के दौर में ही हैं।'

'सामुदायिक संक्रमण नहीं'

उन्होंने कहा, 'समुदाय शब्द का इस्तेमाल होने से अफ़वाह फैलने लगती है। हम इस शब्द का इस्तेमाल उस परिप्रेक्ष्य में नहीं कर रहे हैं, जिसमें आप इसकी व्याख्या करते हैं।'
कोरोना संक्रमण से देश में 1,071 लोग प्रभावित हो चुके हैं और 23 लोगों की मौत हो गई है। 

क्या है तीसरा चरण?

सामुदायिक संक्रमण यानी संक्रमण का तीसरा चरण उस स्थिति को कहते हैं जब किसी आदमी में संक्रमण के लक्षण पाए जाते हैं, पर वह विदेश से आए किसी व्यक्ति या पहले से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं आया होता है। इस चरण में टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए व्यक्ति के बारे में यह पता नहीं चलता है कि उसे वायरस का संक्रमण किससे हुआ।
दरअसल, इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रीसर्च (आईसीएमआर) के प्रमुख रमण गंगाखेडकर ने कहा कि 'शनिवार को कुछ ऐसे रोगी भी पाए गए, जिनमें सीवियर अक्यूट रेसपिरेटरी इलनेस (सारी) था। लेकिन वह किसी ऐसे आदमी के संपर्क में नहीं आये थे, जिसमें कोरोना संक्रमण के लक्षण पहले ही पाए गए थे।' 
इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए नेशनल हेल्थ सिस्टम्स रीसोर्स सेंटर के पूर्व प्रमुख टी. सुंदररमण ने कहा था कि 'यदि ऐसे लोगों की संख्या कम भी है तो यह संकेत तो मिल ही रहा है कि भारत कोरोना संक्रमण के तीसरे चरण में है।'
अब सरकार ने साफ़ कर दिया है कि यह संक्रमण का तीसरा चरण नहीं है। 

सोशल डिस्टैंसिंग कारगर

लव अग्रवाल ने यह भी कहा है कि लॉकडाउन से संक्रमण रोकने में सुविधा हुई है। उन्होंने कहा, 'सोशल डिस्टैंसिंग से अच्छे नतीजे मिले हैं। लॉकडाउन के दौरान हमने देखा कि 100 मामलों से 1,000 तक पहुँचने में 12 दिन लगे। पर दूसरे देशों में इतने दिनों में 3 हज़ार से 5 हज़ार मामले पाए गए।'
स्वास्थ्य मंत्रालय के इस अधिकारी ने यह भी कहा कि लॉकडाउन के दौरान कोरोना संक्रमण फैलने की रफ़्तार दूनी हो गई, पर उन लोगों की तादाद भी बढ़ी, जिनका सफलतापूर्वक इलाज किया गया है।