सेबी ने अडानी समूह को हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सभी आरोपों से बरी किया, लेकिन पारदर्शिता और बाज़ार नियमन पर कई अहम सवाल अब भी उठ रहे हैं। पूरी रिपोर्ट जानें।
सेबी ने हिंडनबर्ग हेरफेर मामले में गौतम अडानी को पाक-साफ़ क़रार दे ही दिया। सेबी यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने गुरुवार को अडानी ग्रुप को
हिंडनबर्ग रिसर्च के गंभीर आरोपों से बड़ी राहत दी। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए इनसाइडर ट्रेडिंग, शेयर बाजार में हेरफेर और संबंधित पक्षों के लेन-देन के नियमों के उल्लंघन जैसे आरोपों की जांच के बाद सेबी ने सभी कार्यवाहियों को बंद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चली इस जांच से लगभग दो साल बाद अडानी ग्रुप को राहत मिली है। 2023 के हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद कंपनी को भारी नुक़सान हुआ है।
सेबी ने साफ़ तौर पर अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी, उनके भाई राजेश अडानी और समूह की प्रमुख कंपनियों- अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड, अडानी पावर, और अडिकॉर्प एंटरप्राइजेज को अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के सभी आरोपों से क्लीन चिट दे दी है। हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर शेयर बाजार में हेराफेरी, गलत हिसाब-किताब, और नियम तोड़ने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन
सेबी ने अपनी जांच में इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ।
हिंडनबर्ग ने क्या कहा था?
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर इतिहास का सबसे बड़ा कॉरपोरेट धोखा करने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि-
- अडानी समूह ने शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए गलत तरीके अपनाए।
- विदेशी शेल कंपनियों यानी बिना ठोस कारोबार वाली कंपनियों का इस्तेमाल किया।
- समूह ने कर्ज और रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के नियम तोड़े।
- अडानी समूह की कंपनियों ने गलत हिसाब-किताब दिखाया।
इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें तेजी से गिर गईं। समूह का बाजार मूल्य लगभग 150 अरब डॉलर यानी करीब 12 लाख करोड़ रुपये कम हो गया। अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर 70% तक गिर गए थे।
सेबी ने क्या पाया?
सेबी ने हिंडनबर्ग के आरोपों की गहन जांच की और दो अलग-अलग आदेशों में कहा कि हिंडनबर्ग के शो-कॉज नोटिस में लगाए गए कोई भी आरोप पक्के सबूतों के साथ साबित नहीं हो सके। न ही शेयर बाजार में हेराफेरी हुई और न ही कोई धोखाधड़ी। इसने कहा कि जिन लेनदेन को हिंडनबर्ग ने गलत बताया, वे असल में सामान्य कारोबारी लेनदेन थे। ये रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के नियमों का उल्लंघन नहीं करते थे, क्योंकि उस समय के नियमों के तहत इन्हें रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के रूप में घोषित करने की जरूरत नहीं थी।
सेबी ने पाया कि अडानी समूह ने कोई धन गलत जगह नहीं भेजा और सभी लेनदेन में लिए गए कर्ज और ब्याज की राशि जांच शुरू होने से पहले ही पूरी तरह चुकाई जा चुकी थी।
सेबी ने कहा कि 2018-23 के दौरान हुए लेनदेन उस समय के नियमों के तहत वैध थे। 2021 में रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन नियमों में बदलाव हुआ, जो अप्रैल 2023 से लागू हुआ, लेकिन ये नियम पुराने मामलों पर लागू नहीं होते।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वार्ष्णेय ने अपने आदेश में लिखा, 'मैंने सभी तथ्यों को देखा और पाया कि आरोपियों के खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ। इसलिए कोई सजा या जुर्माना तय करने की जरूरत नहीं है।' उन्होंने मामले को बिना किसी निर्देश के बंद कर दिया।
हिंडनबर्ग के आरोप, सेबी की सफाई
हिंडनबर्ग ने कहा कि अडिकॉर्प की वित्तीय स्थिति कमजोर थी। इसको अडानी समूह की चार कंपनियों ने 620 करोड़ रुपये का कर्ज दिया। इस लेनदेन को छिपाया गया। सेबी ने कहा कि ये लेनदेन वैध थे, और उस समय के नियमों के तहत इन्हें रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के रूप में घोषित करने की जरूरत नहीं थी। साथ ही, सारा कर्ज ब्याज सहित चुकाया जा चुका है।
हिंडनबर्ग ने दावा किया कि अडानी समूह ने माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स यानी MTPL और रेहवर इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों के जरिए पैसे का लेनदेन किया ताकि नियमों को तोड़ा जा सके। सेबी ने कहा कि इन कंपनियों का इस्तेमाल हुआ, लेकिन ये लेनदेन उस समय के नियमों के खिलाफ नहीं थे। सभी कर्ज वैध और ब्याज सहित चुकाए गए। सेबी ने कहा है कि हिंडनबर्ग ने गौतम अडानी, राजेश अडानी और अडानी समूह के सीएफओ जुगेशिंदर सिंह पर जानबूझकर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। सेबी ने कहा कि इसके लिए कोई ठोस सबूत नहीं है।
हिंडनबर्ग का अंत
इस साल की शुरुआत में हिंडनबर्ग के संस्थापक नेट एंडरसन ने अपनी फर्म को बंद करने की घोषणा की। इस बीच, अडानी समूह ने धीरे-धीरे अपनी बाजार स्थिति को फिर से मजबूत किया है।
तो क्या अब सबकुछ ठीक है?
कानूनी और वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि सेबी का फैसला तकनीकी रूप से सही हो सकता है, लेकिन इससे कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सवाल उठते हैं। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि हालाँकि सेबी ने कोई कानूनी उल्लंघन नहीं पाया, लेकिन माइलस्टोन और रेहवर जैसे मध्यस्थों का इस्तेमाल पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सेबी के पुराने नियमों में खामियां थीं, जिन्हें 2021 में ठीक किया गया, लेकिन पुराने मामलों पर नए नियम लागू नहीं हो सकते।
गौतम अडानी का बयान
अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने कहा है कि गहन जांच के बाद सेबी ने इस बात की पुष्टि की है जो समूह ने हमेशा से कहा था। उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग के आरोप निराधार थे। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा ने हमेशा अडानी समूह को परिभाषित किया है। उन्होंने कहा, 'हमें उन निवेशकों के नुकसान का गहरा दुख है, जिन्होंने इस कपटपूर्ण रिपोर्ट के कारण धन गंवाया। जिन लोगों ने झूठी कहानियां फैलाईं, उन्हें राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए।' अडानी ने कहा, 'भारत के संस्थानों, भारत के लोगों और राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटल है।'