SEBI Adani Insider Trading: सेबी ने अडानी ग्रुप के शेयरों से जुड़े इनसाइडर ट्रेडिंग मामले का निपटारा कर दिया। इस वजह से अडानी की कंपनी के शेयर काफी उछल गए थे। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने मामले को कैसे निपटाया, जानिएः
सेबी ने अडानी ग्रुप के शेयरों से जुड़े इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में दो लोगों के खिलाफ सेटलमेंट आदेश पारित किए हैं। इसके बाद सेबी की तरफ से यह मामला निपटा दिया गया है। यह मामला शेयर खरीदने-बेचने का धंधा करने वाले अजय भाटिया और सुप्रीत सिंह लूथरा से जुड़ा है।
यह मामला तब सामने आया जब 8 अप्रैल 2022 को अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) ने कॉर्पोरेट फाइलिंग में IHC कैपिटल होल्डिंग एलएलसी को 3,850 करोड़ रुपये मूल्य के 2 करोड़ से अधिक इक्विटी शेयरों के प्रेफरेंशियल इश्यू की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद AGEL के शेयर 7.20% उछलकर ₹2,368.90 के इंट्रा-डे हाई तक पहुंच गए थे।
सेबी का आरोप था कि भाटिया को 2 और 4 अप्रैल 2022 को अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के इनसाइडर्स से ईमेल के जरिए अप्रकाशित मूल्य की संवेदनशील सूचना (UPSI) मिली। जो सुप्रीत सिंह लूथरा तक पहुंची। इसके बाद भाटिया ने इसी अवधि के दौरान AGEL, अडानी एंटरप्राइजेज (AEL) और अडानी ट्रांसमिशन (ATL) के कुल ₹8.69 करोड़ के शेयर खरीदे-बेचे और ₹55.34 लाख का अवैध लाभ कमाया। लेकिन सारे मामले में अंतिम फायदा अडानी समूह की कंपनियों को हुआ।
क्या यह मामला अडानी समूह से सीधे जुड़ा है
इस सवाल का जवाब हां और ना दोनों में है।
- यह मामला सीधे अडानी की कंपनी पर नहीं, बल्कि उन दो लोगों पर है जिन्होंने अडानी के शेयर मूल्य की गोपनीय जानकारी का फायदा उठाया। लेकिन यह सवाल बड़ा है कि यह गोपनीय जानकारी बाहर कैसे लीक हुई। इनसाइडर ट्रेडिंग बिना सूचना लीक हुए नहीं हो सकती। आमतौर पर इनसाइडर ट्रेडिंग तभी होती है जब तक कोई कंपनी न चाहे।
- हां, यह केस अडानी ग्रुप से इस वजह से जुड़ा है, क्योंकि जिन शेयरों में ट्रेडिंग हुई, वे अडानी ग्रुप की कंपनियों (AGEL, AEL, ATL) के थे।
इनसाइडर ट्रेडिंग का मतलब
जब कोई व्यक्ति कंपनी की गोपनीय (प्रकाशित न हुई) जानकारी का फायदा उठाकर शेयर खरीद-बिक्री करके मुनाफा कमाता है। आमतौर पर यह गोपनीय जानकारी कंपनियां मार्केट के बड़े खिलाड़ियों को लीक करती हैं। या इनसाइड ट्रेडिंग करने वालों को देती हैं। बिना कंपनी की मर्जी के कोई गोपनीय सूचना लीक नहीं हो सकती।
यह निपटारा सेबी के सेटलमेंट नियमों के तहत हुआ, यानी बिना गलती मानें या नकारे, पैसा भरकर मामला खत्म कर दिया गया।
सेबी की हाईपावर सलाहकार कमेटी का फैसला
सेबी की हाई-पावर्ड एडवाइजरी कमेटी (HPAC) ने मामले की समीक्षा कर निपटान शर्तों को मंजूरी दी। भाटिया ने सेबी से कहा है कि वो छह महीने के लिए मार्केट से दूर रहेंगे। यानी किसी भी शेयर की खरीद-फरोख्त नहीं करेंगे। यह सेबी का नियम भी है। इसी मामले में अजय भाटिया से जुड़े VAT कंसल्टेंट सुप्रीत सिंह लूथरा ने भी निपटान करते हुए ₹40 लाख की सेटलमेंट फीस और ₹13.13 लाख की अवैध कमाई लौटाई है। लूथरा ने भी छह महीने के लिए मार्केट से बाहर रहने का वचन दिया है।
अडानी समूह को लेकर कई विवाद
अडानी समूह की कंपनियों को लेकर कई विवाद पहले से ही चल रहे हैं। इस संबंध में अमेरिका की रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने दो रिपोर्ट भी जारी की थी। लेकिन इस कंपनी ने बाद में अपनी दोनों रिपोर्ट वापस ले ली। अडानी समूह के खिलाफ अमेरिका के न्याय विभाग में भी मामला चल रहा है। कंपनी के मालिक गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी सहित कई के खिलाफ समन भी जारी हो चुके हैं। यह मामला अमेरिकी निवेशकों से धोखाधड़ी कर निवेश कराने, भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप है। अमेरिका में चल रहा मामला अभी बंद नहीं हुआ है। यहां यह बताना ज़रूरी है कि अडानी समूह ने समय-समय पर इसका खंडन किया है।
अडानी, अंबानी और मीडिया
अडानी समूह को लेकर भारत में स्वतंत्र पत्रकारों, यूट्यूब चैनलों ने कई रिपोर्ट प्रकाशित की हैं या वीडियो बनाए हैं। लेकिन रोहिणी की एक कोर्ट ने अजीत अंजुम, प्रंजय गुहा ठाकुरता, अभिसार शर्मा, रवीश कुमार, न्यूज़ लॉन्ड्री आदि के खिलाफ आदेश पारित कर इन पर अडानी से जुड़ी खबरें प्रकाशित करने या दिखाने पर रोक लगा दी। लेकिन सरकार ने कोर्ट के इस आदेश के आधार पर इन सारे पत्रकारों से उनके 138 वीडियो हटाने, इंस्टाग्राम पोस्ट हटाने का आदेश जारी कर दिया। अगर इन पत्रकारों ने ये वीडियो नहीं हटाए तो यूट्यूब उनको खुद हटा देगा। इस तरह अडानी समूह को मीडिया के मामले में भारी सफलता मिली है।
इसी तरह उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस वनतारा को तो सुप्रीम कोर्ट से भारी राहत मिली है। वनतारा चिड़ियाघर को लेकर कई वीडियो और समाचार रिपोर्ट सामने आई थी। जिनमें वनतारा में दुर्लभ पक्षियों, पशुओं, सरी सृप आदि को लेकर समय-समय पर रिपोर्ट आई। सुप्रीम कोर्ट में कुछ लोग गए। याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने आनन-फानन में एक एसआईटी बना दी। एसआईटी ने बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर वनतारा को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई। सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा से कहा कि वो चाहे तो उसके विरुद्ध छपी खबरें या वीडियो के खिलाफ मानहानि का केस कर सकता है।
इस तरह देश के दो जाने-माने उद्योगपतियों अडानी और अंबानी को हाल के दिनों में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। नेता विपक्ष राहुल गांधी का आरोप है कि मोदी सरकार का इन्ही दोनों यानी अडानी-अंबानी को संरक्षण मिला हुआ है। देश बाकी उद्योग समूहों को दरकिनार करके इन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। संयोग की बात है कि अडानी और अंबानी दोनों ही दो बड़े मीडिया समूहों के मालिक हैं। इसके अलावा भी कई मीडिया कंपनियों के शेयर इनके पास हैं।