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पुराने नेताओं के पार्टी का साथ छोड़ देने के बाद शरद पवार ने अपने पिछले 55 सालों के राजनीतिक जीवन में क्या-क्या किया है, एनसीपी इसे हर मंच से प्रचारित कर रही है।
क्या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) विधानसभा चुनाव ब्रांड शरद पवार के सहारे लड़ने जा रही है? एनसीपी के नेताओं के भाषण और उनकी रणनीति को देखा जाए तो कुछ ऐसा ही लग रहा है। पार्टी के बड़े क्षत्रपों द्वारा साथ छोड़ने के कारण कई जिलों में पार्टी के पास चुनाव लड़ने वाले बड़े चेहरों की कमी साफ़ नज़र आ रही है। ऐसे में एनसीपी ने युवा नेताओं को आगे लाने की रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत अपने राजनीतिक जीवन में शरद पवार ने पिछले 55 सालों में क्या-क्या किया है, इसे हर मंच से प्रचारित किया जा रहा है।
अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर इसी तर्ज में कांग्रेस को घेरते रहे हैं कि देश में बीते 70 सालों में हुआ ही क्या है? लेकिन महाराष्ट्र में अमित शाह का बयान कुछ उलटा पड़ता दिख रहा है।
महाराष्ट्र की अस्मिता से जोड़ने की कोशिश
एनसीपी के नेताओं ने इसे मराठी बनाम गुजराती और महाराष्ट्र की अस्मिता से जोड़ना शुरू कर दिया है। साथ ही अब हर चुनावी सभा या प्रचार रैली में एनसीपी के नेता पिछले 55 सालों में शरद पवार ने महाराष्ट्र की जनता के लिए क्या-क्या किया है यह भी बताने लगे हैं और पवार भी अब आक्रामक मुद्रा में आ गए हैं।
पवार ने कहा कि वह अभी बूढ़े नहीं हुए हैं तथा राजनीति की इस बाज़ी को जीतने के लिए तैयार हैं। 80 वर्षीय पवार आज भी प्रतिदिन तीन से चार सार्वजनिक सभाओं को संबोधित कर रहे हैं और दल-बदल की हवा में बिखरी एनसीपी अब इस रणनीति को उन विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी प्रखरता के साथ उठा रही है, जहाँ से उनके बड़े नेता पार्टी का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी या शिवसेना में चले गए हैं। उन सभी विधानसभा क्षेत्रों में पवार स्वयं जा रहे हैं तथा यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि क्षेत्र में जो विकास कार्य हुए थे उसके पीछे पूरे प्रयास उनके तथा एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार के ही रहे हैं।
एनसीपी शरद पवार का चेहरा आगे रखकर यह सवाल खड़े कर रही है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण का काम कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने किया जबकि मंदी का वातावरण बीजेपी-शिवसेना सरकार की ग़लत नीतियों की वजह से निर्मित हुआ है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ब्रांड शरद पवार इस चुनाव में एनसीपी की नैया पार लगा सकता है? क्योंकि जिस तरह से फडणवीस ने पिछले एक महीने में अपनी सरकार की ब्रांडिंग शुरू कर रखी है, वह बहुत व्यापक है।
प्रशांत किशोर की योजना के तहत आदित्य प्रदेश भर में जन आशीर्वाद यात्रा निकालकर जनता के बीच जा रहे हैं और आशीर्वाद मांग रहे हैं। अब देखना है कि अमित शाह का शरद पवार पर वार बीजेपी को भारी पड़ता है या जनता कश्मीर से अनुच्छेद 370 में बदलाव और भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर बनाई जा रही लहर से प्रभावित होगी।