जब सारी बात साफ हो चुकी थी कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस राज्य में मिलकर सरकार बनाएंगे तो यह आख़िरकार कैसे हो गया।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ तो दिला दी लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि किसने किसे धोखा दिया है। जब सारी बात साफ हो चुकी थी कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस राज्य में मिलकर सरकार बनाएंगे तो यह आख़िरकार कैसे हो गया। यानी किसी ने किसी को धोखा ज़रूर दिया है। या तो एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना को धोखा दिया है या फिर शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने अपने चाचा को। इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं।
ऐसा होने की संभावना किसी सूरत में नहीं है कि अजीत पवार ने इतना बड़ा फ़ैसला ख़ुद ले लिया होगा क्योंकि उनकी सियासी हैसियत इतनी नहीं है कि एनसीपी के अधिकांश विधायक उनके साथ चले जाएंगे। यानी यह माना जा सकता है कि इस निर्णय में कहीं न कहीं शरद पवार की कोई भूमिका ज़रूर है।
मोदी से मिले थे शरद पवार
अजीत ने दे दिया था इस्तीफ़ा
बीजेपी-एनसीपी की सरकार बनने से राजनीतिक जानकारों को ख़ासी हैरानी ज़रूर हुई है क्योंकि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत पूरी हो चुकी थी और यह माना जा रहा था कि शनिवार को तीनों दल मिलकर एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करेंगे और इसमें सरकार बनने की जानकारी देंगे लेकिन उससे पहले ही यह सियासी उलटफेर हो गया।
बीजेपी-एनसीपी की सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने में कोई मुश्किल पेश नहीं आएगी क्योंकि 288 विधायकों वाली राज्य की विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की ज़रूरत है और दोनों ही दलों के विधायकों का कुल योग 159 बैठता है। इसके अलावा बीजेपी के पास कुछ निर्दलीय विधायकों और छोटी पार्टियों का भी समर्थन है।