केंद्र और राज्य सरकारों ने कोरोना को काबू करने का भरसक प्रयत्न किया है लेकिन यदि वे इस महंगाई पर काबू नहीं कर सकीं तो ये मुनाफाखोर लोग उसे ले डूबेंगे। महंगाई की मार कोरोना की मार से ज़्यादा ख़तरनाक सिद्ध होगी।
बेचारे दर्जियों और धोबियों की भी शामत आ गई। जब लोग अपने घरों में घिरे रहे तो उन्हें धोबी से कपड़े धुलाने और दर्जी से नए कपड़े सिलाने की ज़रूरत ही कहाँ रह गई? भवन-निर्माण का धंधा ठप्प होने के कारण लाखों मज़दूर अपने गांवों में ही जाकर पड़े रहे। यही हाल ड्राइवरों का हुआ।