देश के 140 करोड़ नागरिकों की तरफ़ से सरकार को पूरा समर्थन है कि पहलगाम नरसंहार का बदला लेने के लिए पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवादियों के तमाम ढाँचों को पूरी तरह नेस्तनाबूत कर दिया जाना चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे अमेरिका ने ‘नौ-ग्यारह’ के आतंकी हमलों के बाद ‘अल-क़ायदा’ का अफ़ग़ानिस्तान से भी सफ़ाया कर दिया था और उसके सरग़ना ओसामा-बिन-लादेन को उसके पाकिस्तान स्थित ठिकाने में घुस कर मार गिराया था। बराक ओबामा प्रशासन द्वारा इस्लामाबाद की हुकूमत को तब किसी भी स्तर पर पूर्व जानकारी भी नहीं दी गई थी और परवेज़ मुशर्रफ ने इसे लेकर नाराज़गी भी जताई थी।
आतंकवाद से जंग का नागरिकों की प्यास से क्या रिश्ता है?
- विचार
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- 2 Jun, 2025

भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर क्या संदेश दिया है? जानिए आतंकवाद विरोधी अभियानों और पाकिस्तान में जल संकट के बीच के गहरे संबंध को।
देश की जनता इस मामले में भी पूरी तरह से सरकार के साथ है कि पाकिस्तान की सेना अगर आतंकवादियों के समर्थन में खड़ी होती है तो उसके ख़िलाफ़ भी हमारी सेनाओं द्वारा निर्णायक कार्रवाई की जानी चाहिए। इसी तरह, इस्लामाबाद की हुकूमत भी अगर इस मामले में आतंकवादियों और सेना के पक्ष में खड़ी होती है तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी नक़ाब भी उतारी जानी चाहिए।