बिहार विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने तेजस्वी को ‘जंगलराज का युवराज’ कहा। वह क्यों इशारों में लालू यादव के शासन को जंगलराज कह रहे थे? यदि वह अगड़ी जाति से होते तो क्या ‘जंगलराज’ कहा जाता?
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के प्रति आरएसएस का प्रेम वास्तवकि है या हिन्दुत्व के तहत सभी हिन्दुओं को एकजुट करने में वह उन्हें एक टूल के रूप में इस्तेमाल कर रही है?
यह सर्वविदित है कि आरएसएस में ब्राह्मणों का वर्चस्व है जबकि योगी आदित्यनाथ की हिन्दू युवा वाहिनी में ठाकुरों का दबदबा है। हाल की घटनाओं से ऐसा लगता है जैसे संघ और योगी के दरम्यान शह और मात का खेल चल रहा है।
ब्राह्मणों के उत्पीड़न और योगी सरकार से उनकी नाराज़गी को समाजवादी पार्टी के ब्राह्मण नेताओं ने भुनाने की जुगत में पूरे प्रदेश में परशुराम और मंगल पाण्डेय की प्रतिमाएँ लगाने की घोषणा की।
आज क्रांतिकारी उधम सिंह की शहादत का दिन है। आज ही के दिन यानी 31 जुलाई 1940 को उधम सिंह को फाँसी की सज़ा हुई थी। उधम सिंह का जीवन और उनकी शहादत कई मायने में अलग है। उनकी ज़िंदगी रूमानियत में डूबी कहानी है।
यूपी में पिछले चार-पाँच माह में क़रीब पाँच दर्जन ब्राह्मणों की हत्या हो चुकी है। जाहिर है कि इस नाराज़गी का असर यूपी की राजनीति और राजनीतिक दलों पर पड़ना स्वाभाविक है।
डॉ. आंबेडकर दलितों को हिंदू धर्म की गुलामी पर आधारित वर्ण व्यवस्था से बाहर निकालना चाहते थे। बौद्ध धर्म में प्रगतिशील विचारों की मौजूदगी के कारण ही उन्होंने इसे अपनाया।
यदि समय रहते चुनाव करवाने के एक संवैधानिक प्रावधान को लॉकडाउन में टाला जा सकता है तो फिर मुख्यमंत्री के विधायक होने की शर्त को निलम्बित क्यों नहीं किया जा सकता?
कोरोना संकट के समय देश में तालाबंदी है लेकिन धार्मिक नफ़रत और हिंसा की खिड़कियाँ खुली हुई हैं। दिल्ली जैसे महानगरों से लेकर छोटे शहरों में सब्जी और फल बेचने वालों से उनका नाम पूछा गया। उनका आधार कार्ड देखा गया।