Satya Hindi news Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। RSS सरकार्यवाह की लखनऊ में बैठक!, क्या यूपी में होगा बदलाव?‘टूलकिट’: दो कांग्रेसी नेताओं को दिल्ली पुलिस का नोटिस। देखिए दोपहर तक की ख़बरें -
बैठक में बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और उत्तर प्रदेश में संगठन के मामलों के प्रभारी सुनील बंसल भी मौजूद रहे।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कूदने को तैयार एआईएमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी के बयानों पर बीजेपी तुरंत जवाब दे रही है।
उत्तर प्रदेश जैसे विशालकाय सूबे की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने सोमवार को एलान किया है कि उनकी पार्टी बीएसपी उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी।
ओम प्रकाश राजभर काफी वक़्त से छोटे विपक्षी दलों का एक गठबंधन बनाने में जुटे हैं और इसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली है।
राजभर उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ों की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं तो ओवैसी ने बिहार चुनाव के बाद हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में भी इस बात को साबित किया है कि मुसलिम मतदाता उनके साथ खड़े हैं।
दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस को धूल चटा चुकी आम आदमी पार्टी ने एलान किया है कि वह फरवरी 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को पूरी ताक़त के साथ लड़ेगी।
यह सर्वविदित है कि आरएसएस में ब्राह्मणों का वर्चस्व है जबकि योगी आदित्यनाथ की हिन्दू युवा वाहिनी में ठाकुरों का दबदबा है। हाल की घटनाओं से ऐसा लगता है जैसे संघ और योगी के दरम्यान शह और मात का खेल चल रहा है।
हाथरस ज़िले के एक गाँव में एक दलित युवती के साथ हुए नृशंस अत्याचार और उसके कारण हुई मौत से सरकार डर गई है। वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।
मायावती जानती हैं कि अगर इस बार वह योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ चुप रहीं तो उनके पास जो बचा-खुचा दलित वोट बैंक है, वह भी चला जाएगा।
यूपी में कॉंग्रेस का क्या होगा? चर्चा शरत प्रधान, आशुतोष, गोविंद पंत राजू, अशोक वानखेड़े और सिद्धार्थ कलहंस के साथ।
जब से कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को चिट्ठी लिखी गयी है, तभी से ये नेता निशाने पर हैं।
कांग्रेस नेता चिट्ठी सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिखने को लेकर चल रहे विवाद के बीच ही पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 2 साल बाद होने वाले चुनाव के लिए 7 पैनल बनाए हैं। इसमें जितिन प्रसाद और राज बब्बर जैसे कई बड़े नाम शामिल नहीं किए गए हैं।
मायावती के इस बयान पर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नज़र रखने वाले लोग चौंक गए कि आख़िर ऐसा क्या हो गया कि मायावती योगी सरकार पर हमलावर हो गईं।
दिल्ली में सरकारी बंगला खाली करने के नोटिस के बाद प्रियंका के लखनऊ आने की ख़बर है। ऐसे में प्रियंका गांधी मायावती और अखिलेश यादव की सियासत को चुनौती दे सकती हैं।
प्रियंका गांधी वाड्रा की सियासी सक्रियता से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी ख़ुश हैं और सपा, बसपा परेशान हैं। लेकिन क्यों? सुनिए, पवन का विश्लेषण।
प्रियंका गांधी वाड्रा की उत्तर प्रदेश में सक्रियता से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी दोनों ही उत्साहित हैं। लेकिन एसपी और बीएसपी इससे परेशान हैं।
आज़ाद, ओमप्रकाश राजभर दलितों, पिछड़ों और मुसलिम समाज के बड़े हिस्से को जोड़ने में कामयाब रहते हैं तो निश्चित रूप से योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
लोकसभा चुनाव में क़रारी हार के बाद से ही प्रियंका गाँधी वाड्रा लगातार उत्तर प्रदेश के दौरे कर रही हैं। लेकिन क्या वह कांग्रेस को मजबूत स्थिति में वापस ला पाएंगी?