तेलंगाना सरकार ने हाल ही में एक बड़ा जाति सर्वेक्षण किया, जिसके आधार पर अब हर उप-जाति के लिए खास योजनाएँ बनाई जाएंगी। इस सर्वेक्षण से सरकार को यह समझने में मदद मिली कि समाज में कौन सी जाति और उप-जाति किन समस्याओं का सामना कर रही है। इसके आधार पर अब शिक्षा, नौकरी और परिवारों को आर्थिक मदद जैसी योजनाएं बनाई जाएंगी, जो हर उप-जाति की जरूरतों के हिसाब से होंगी। द इंडियन एक्सप्रेस ने यह रिपोर्ट दी है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तेलंगाना सरकार द्वारा कराए जाति सर्वेक्षण की तारीफ की है और इसे पूरे देश में लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना संसाधनों के बराबर बंटवारे के लिए जरूरी है। तेलंगाना का यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा बन सकता है।

जाति सर्वेक्षण कैसे हुआ?

6 नवंबर से 25 दिसंबर 2024 तक, 50 दिनों में सरकार ने घर-घर जाकर यह जाति सर्वेक्षण किया। इसमें 1.15 करोड़ परिवारों को शामिल किया गया, जो 3.55 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सर्वेक्षण में पता चला-
  • 17.42% लोग अनुसूचित जाति (एससी) से हैं।
  • 10.43% अनुसूचित जनजाति (एसटी) से हैं।
  • 56.36% पिछड़ा वर्ग (बीसी) से हैं।
  • 15.89% अन्य जातियों से हैं।
  • 4% लोगों ने खुद को ‘बिना जाति’ का बताया।
इस सर्वेक्षण में 59 एससी उप-जातियों, 33 एसटी उप-जातियों और बीसी की करीब 50 उप-जातियों को शामिल किया गया। उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्का ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'इस सर्वेक्षण से हमें हर समुदाय की संख्या और उनकी खास समस्याओं का पता चला। अब हम हर परिवार की ज़रूरतों के हिसाब से योजनाएँ बनाएंगे।' 

मडिगा और माला जैसी बड़ी एससी उप-जातियाँ पहले योजनाओं का लाभ ज़्यादा लेती थीं, लेकिन अब बाकी 57 उप-जातियों, जो ज्यादा पिछड़ी हैं, के लिए विशेष योजनाएं बनेंगी।

सर्वेक्षण: विशेषज्ञ समिति और सुझाव

सर्वेक्षण की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी की अध्यक्षता में 11 सदस्यों की एक समिति बनाई गई। इस समिति ने 19 जुलाई 2025 को 300 पेज की रिपोर्ट मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को दी। इस रिपोर्ट में शहर और गांव के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का विश्लेषण किया गया और सुझाव दिए गए कि हर उप-जाति की जरूरतों के हिसाब से योजनाएं बनें, जैसे:
  • शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति
  • नौकरियों में प्राथमिकता
  • आर्थिक मदद
मुख्यमंत्री ने कहा, 'यह सर्वेक्षण देश के लिए एक मिसाल है। हमारा मकसद सबसे कमजोर लोगों तक मदद पहुंचाना है।' सरकार ने स्थानीय चुनावों में बीसी के लिए आरक्षण को 34% से बढ़ाकर 42% करने का फैसला किया है। साथ ही, शिक्षा और नौकरी में भी आरक्षण और सुविधाएं बढ़ाने की योजना है।

योजनाओं का भविष्य

सर्वेक्षण के डेटा से सरकार अब हर उप-जाति की जरूरतों के हिसाब से योजनाएं बनाएगी। जैसे, कुछ उप-जातियों को शिक्षा में ज्यादा मदद चाहिए, तो कुछ को नौकरी या स्वास्थ्य सेवाओं में। सरकार ने वादा किया है कि ये योजनाएं पारदर्शी और सभी को शामिल करने वाली होंगी। डेटा और डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से यह काम और आसान होगा।

जाति सर्वेक्षण पर विवाद

बीआरएस और बीजेपी जैसे कुछ विपक्षी दलों ने सर्वेक्षण की सटीकता पर सवाल उठाए। बीआरएस नेता के.टी. रामा राव ने कहा कि बीसी की आबादी को कम दिखाया गया, जिससे उनकी हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती है। डेटा की गोपनीयता को लेकर भी सवाल उठे, क्योंकि 1,000 पेज की पूरी रिपोर्ट को गोपनीय रखा गया है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी सारी उप-जातियों के लिए योजनाएं लागू करना मुश्किल हो सकता है। फिर भी, सरकार का कहना है कि सर्वेक्षण निष्पक्ष और पारदर्शी था।
तेलंगाना का जाति सर्वेक्षण समाज के कमजोर वर्गों के लिए एक बड़ा कदम है। यह डेटा सरकार को सही दिशा में योजनाएं बनाने में मदद करेगा। यह न केवल तेलंगाना, बल्कि पूरे देश में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक मील का पत्थर हो सकता है।