ख़बर देखी कि मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के दफ़्तर में भोपाल पुलिस पहुँची क्योंकि उसे ख़बर मिली थी कि पार्टी के कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख को राष्ट्र ध्वज भेंट करने जानेवाले हैं। उन्हें यह असुविधा न हो, इसके लिए वह कांग्रेस पार्टी के सदस्यों को रोकने के ख़याल से वहाँ पहुँची।
आरएसएस से कैसे कह सकते हैं कि वो तिरंगा स्वीकार करे!
- वक़्त-बेवक़्त
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- 8 Aug, 2022

भारत के राष्ट्र ध्वज का जो राष्ट्र है, वह धर्मनिरपेक्ष है। लेकिन आरएसएस धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के सिद्धांत में यक़ीन नहीं करता। उसका लक्ष्य हिंदू राष्ट्र है। उसने अपनी कल्पना में हिंदू राष्ट्र का प्रतीक भगवा ध्वज को बनाया है। स्वाभाविक है कि उसके लिए भगवा ध्वज सर्वोपरि है।
कांग्रेस के सदस्य घोषणा करके सिर्फ़ तिरंगा झंडे के साथ आरएसएस के कार्यालय जानेवाले थे, किसी हथियार के साथ उन पर हमला करने नहीं। अगर मोहन भागवत उनसे वह तिरंगा ग्रहण करते तो छवियों के आज के संसार में यह एक चर्चा के लायक छवि बनती।
क्या यह दृश्य सौहार्द का होता? या इसकी व्यंजना से घबराकर ही पुलिस ने कांग्रेसी सदस्यों को रोका? वह व्यंजना कई दिशाओं में जा सकती थी।