भारत में अब एक राष्ट्रवाद प्रमाणन बोर्ड स्थापित करने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश सरकार के निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना सम्बन्धी क़ानून के मसविदे के प्रकाशित होने के बाद तो यह और भी ज़रूरी लगने लगा है। राज्य सरकार के इस नए अध्यादेश के अनुसार निजी विश्वविद्यालय का उद्देश्य होगा राष्ट्रीय एकता, धर्म निरपेक्षता, सामाजिक सामंजस्य, अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव, नैतिकता का निर्माण और देशभक्ति का विकास। साथ ही, जिस बात पर मीडिया का ध्यान सबसे अधिक गया है क्योंकि ऐसा करने का मक़सद भी यही रहा होगा, वह यह कि निजी विश्वविद्यालय को सरकार को यह हलफ़नामा देना होगा कि परिसर में किसी राष्ट्र विरोधी हरक़त की इजाजत नहीं होगी।
आख़िर हम क्यों राष्ट्रवाद के नाम पर मूर्खता ओढ़ लें?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 24 Jun, 2019

विश्वविद्यालय पर हमेशा ही राष्ट्र के नाम पर कब्ज़ा करना आसान रहा है। यह सोवियत संघ में स्टालिन ने समाजवादी राष्ट्रवाद के नाम पर किया, हिटलर ने जर्मनी में किया, ईरान में इस्लामी राष्ट्रवाद के सहारे यह किया गया, अभी चीन में चीनी राष्ट्रवाद के नाम पर यही किया जा रहा है। भारत के विश्वविद्यालय प्रायः इससे मुक्त रहे हैं क्योंकि राष्ट्रवाद का भूत उन पर सवार नहीं रहा है। फिर आज क्या हम इतने कमजोर हो गए हैं कि राष्ट्रवाद के नाम पर मूर्खता ओढ़ लें?