अगस्ता-वेस्टलैंड मामले के कथित बिचौलिए क्रिश्चन मिशेल को भारत लाना क्या वाक़ई दिल्ली की कूटनीतिक जीत है? सरकार तो यही दावा कर रही है। पर इस बात के संकेत हैं कि उन्हें हासिल करने के बदले भारत ने संयुक्त अरब अमीरात की राजकुमारी लतीफ़ा को अमीरात को सौंप दिया था।
साल 2017 में दुबई गए मिशेल को संयुक्त अरब अमीरात की पुलिस ने गिरफ़्तार तो कर लिया, पर भारत को सौंपने से साफ़ इनकार कर दिया। उसका तर्क था कि मिशेल ब्रिटिश नागरिक हैं और वह ऐसे में उन्हें किसी और देश को नहीं सौंप सकता। लेकिन बाद में कुछ दिलचस्प घटनाएँ हुईं, जिनका इस मामले से सीधा कोई संपर्क नहीं दिखता है। पर उसके गहरे मतलब हैं। नीचे जानिए, क्या हुआ।दुबई की राजकुमारी
सयुंक्त अरब अमीरात की राजकुमारी लतीफा अपने घर से भागी थीं जिन्हें भारत ने उनके पिता को सौंप दिया।
गोवा के पास पकड़ी गईं
क्या दोनों घटनाओं में कोई संपर्क है? भारत का कहना है कि उसने दुबई को उसकी राजकुमारी लौटा दी। पर जानकारों का कहना है कि अमीरात ने घर से भागी राजुकमारी के बदले मिशेल भारत को सौंपा है। यह एक तरह का सौदा था।
केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने सिर्फ़ इतना कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने इस मामले में ‘रास्ता दिखलाया’ है। समझा जाता है कि उन्होंने ही अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर अमीरात से यह सौदा किया है कि राजकुमारी उन्हें सौंप दी जाए और उसके बदले वह भारत को मिशेल दे दे। सुषमा स्वराज दुबई गईं और उसके बाद रातोंरात विशेष विमान से क्रिश्चन मिशेल भारत लाए गए। उसके अगले ही दिन राजस्थान में जनसभा में नरेंद्र मोदी ने इसका श्रेय लेते हुए कहा कि ज़ल्द ही सोनिया गाँधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी अगस्ता-वेस्टलैंड मामले में जेल जाएँगे।