उदारवादी, प्रगतिशील और वामपंथी विचारों पर आधारित अभियान चलाने वाले ज़ोहरान ममदानी ने ट्रंप और इसराइली पीएम नेतन्याहू को ज़ोरदार झटका दिया है। ममदानी की जीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक बड़ी करारी हार है। ममदानी ने न्यूयॉर्क के पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो और रिपब्लिकन कर्टिस स्लीवा को हराकर न्यूयॉर्क शहर के 111वें मेयर बनने का गौरव हासिल किया। एक ऐसे उम्मीदवार के लिए जिसने चुनाव से बमुश्किल एक साल पहले सीमित पहचान, साधन और मामूली रिकॉर्ड के साथ चुनाव अभियान की शुरुआत की थी। शुरुआती सर्वे में उन्हें कम वोट मिले थे, लेकिन उनके संदेशों ने अंततः विविधता में यकीन रखने वाले और निराश मतदाताओं को प्रभावित किया।
34 वर्षीय ममदानी शहर के पहले मुस्लिम मेयर, पहले दक्षिण एशियाई मेयर और 1970 के दशक में अब्राहम बीम के बाद इस पद पर आसीन होने वाले पहले अप्रवासी होंगे। युगांडा में भारतीय मूल के माता-पिता, प्रोफेसर महमूद ममदानी और फिल्म निर्माता मीरा नायर के घर जन्मे ममदानी का उदय न्यूयॉर्क की विविधता और डेमोक्रेटिक पार्टी के आधार के बदलते स्वरूप, दोनों को दर्शाता है। यह दशकों से शहर की राजनीति पर हावी रहे और प्रभावित करने वाले अलर्ट मध्यमार्गियों की भी हार है। ममदानी ने अपने विचार शुरू से स्पष्ट रखे, जिसमें इसराइल की नरसंहार नीति और फिलिस्तीन को लेकर उन्होंने मुखर होकर बोला।

डेमोक्रेट्स और किन राज्यों में जीते? 

न्यूयॉर्क के मेयर चुनाव (जिसमें ज़ोहरान ममदानी की जीत हुई) के अलावा, डेमोक्रेट्स ने वर्जीनिया और न्यू जर्सी जैसे राज्यों में भी गवर्नर पद की दौड़ जीती है। 
वर्जीनिया: डेमोक्रेट अबिगेल स्पैनबर्गर ने गवर्नर की दौड़ जीती। इस जीत को अक्सर राष्ट्रीय राजनीति पर ट्रंप की लोकप्रियता पर एक जनमत संग्रह के रूप में देखा जाता है, खासकर राष्ट्रपति के व्हाइट हाउस में लौटने के बाद यह पहला बड़ा चुनाव दिवस था। वर्जीनिया एक महत्वपूर्ण स्विंग स्टेट (Swing State) है। 
 न्यू जर्सी: डेमोक्रेट मिकी शेरिल ने गवर्नर पद का चुनाव जीता। न्यू जर्सी में भी मतदाताओं ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार पर भरोसा जताया। अन्य सफलताएँ: डेमोक्रेट्स ने स्विंग-स्टेट पेंसिल्वेनिया में राज्य सुप्रीम कोर्ट की तीन महत्वपूर्ण सीटें भी जीती हैं, साथ ही कोलोराडो और मेन जैसे राज्यों में मतपत्र मापों पर भी जीत हासिल की है।

नेहरू को कोट किया ममदानी ने

न्यूयॉर्क शहर के मेयर का चुनाव जीतने के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए, ज़ोहरान ममदानी ने अपने विजय भाषण में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शब्दों को कोट किया। उन्होंने कहा, "आपके सामने खड़े होकर, मुझे जवाहरलाल नेहरू के शब्द याद आ रहे हैं। इतिहास में ऐसा क्षण बहुत कम आता है जब हम पुराने से नए की ओर कदम बढ़ाते हैं, जब एक युग का अंत होता है और जब लंबे समय से दबे हुए राष्ट्र की आत्मा को अभिव्यक्ति मिलती है। आज रात, न्यूयॉर्क ने ठीक यही किया है। यह नया युग स्पष्टता, साहस और दूरदर्शिता की माँग करता है - बहानेबाज़ियों की नहीं। इसकी परिभाषा साहसिक नेतृत्व और हमारे शहर के जीवन-यापन के संकट का सामना करने के लिए अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी योजना से होगी।"

ममदानी की जीत ट्रंप के लिए क्यों झटका है? 

भारतीय मूल के ज़ोहरान ममदानी का न्यूयॉर्क शहर के मेयर चुनाव जीतना डोनाल्ड ट्रंप के लिए कई कारणों से एक जोरदार झटका है:

प्रगतिशील विचारधारा का उदय (Rise of Progressive Ideology): ममदानी एक प्रगतिशील डेमोक्रेट हैं। उनकी जीत पार्टी के भीतर वामपंथी/प्रगतिशील एजेंडे (जैसे कम लागत पर आवास, किराया नियंत्रण, और कामकाजी वर्ग के लिए नीतियां) की बढ़ती ताकत को दर्शाती है। ट्रंप ने ममदानी को "कम्युनिस्ट" कहकर लगातार हमला किया और New York का फेडरल फंड रोकने की धमकी भी दी, लेकिन सीधे दखल के बावजूद अपनी पसंद के उम्मीदवार (निर्दलीय एंड्रयू कुओमो) को जीत नहीं दिला पाए। 
ट्रंप का सीधा हस्तक्षेप नाकाम: ट्रंप ने इस स्थानीय चुनाव में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया। उन्होंने अपने समर्थकों से ममदानी को वोट न देने की अपील की और यहाँ तक कि रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा के बजाय निर्दलीय एंड्रयू कुओमो का समर्थन किया। उनकी सीधी चेतावनी और समर्थन के बावजूद ममदानी की जीत, ट्रंप के राजनीतिक प्रभाव और ताकत (coattail effect) पर एक सवाल खड़ा करती है। 
न्यूयॉर्क का महत्व: न्यूयॉर्क सिटी, हालांकि एक डेमोक्रेटिक गढ़ है, ट्रंप का "पहला प्रिय घर" भी है। इस प्रमुख शहर में एक मुखर प्रगतिशील डेमोक्रेट की जीत, जो ट्रंप और नेतन्याहू विरोधी बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं, उनके लिए एक व्यक्तिगत और प्रतीकात्मक झटका है।

ममदानी से क्या अमेरिका की राजनीति प्रभावित होगी? 

बिल्कुल, ममदानी की जीत से अमेरिका की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है, हालांकि यह मेयर स्तर की जीत है। फिर भी कुछ प्वाइंट्स पर विचार किया जाना चाहिए।
प्रगतिशील लहर को मजबूती: ममदानी की जीत डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रगतिशील विंग के लिए एक बड़ी नैतिक जीत है। यह 'द स्क्वाड' (The Squad) जैसे वामपंथी डेमोक्रेट्स को राष्ट्रीय स्तर पर अपने एजेंडे (जैसे स्वास्थ्य सेवा, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता) को और मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। 
हाउसिंग और शहरी नीति पर प्रभाव: न्यूयॉर्क जैसे सबसे बड़े अमेरिकी शहर में मेयर के रूप में, ममदानी की नीतियाँ (जैसे किराया नियंत्रण, किफायती आवास) अन्य बड़े शहरों में भी शहरी नीतियों के लिए एक मॉडल बन सकती हैं, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर बहस तेज हो सकती है। 
डेमोक्रेटिक पार्टी में आंतरिक संघर्ष: ममदानी की जीत यह भी दर्शाती है कि डेमोक्रेटिक पार्टी में मॉडरेट (Andrew Cuomo द्वारा प्रतिनिधित्व) और प्रगतिशील (Zohran Mamdani द्वारा प्रतिनिधित्व) धड़ों के बीच का वैचारिक संघर्ष और गहरा होगा।

मोदी-नेतन्याहू की तुलना वाला बयान याद है

ज़ोहरान ममदानी अपने फिलिस्तीन समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं, और उनके इस रुख ने चुनाव को प्रभावित किया। ममदानी इसराइल की नीतियों के कड़े आलोचक रहे हैं। उन्होंने इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना करते हुए दोनों की आलोचना की थी, और फिलिस्तीनी अधिकारों के लिए मुखर रहे हैं। यहां बताना ज़रूरी है कि ममदानी के पिता गुजराती मूल के हैं। गुजरात की घटनाओं का ममदानी पर बहुत असर पड़ा। इसीलिए वो अक्सर मोदी की तुलना नेतन्याहू से करते हैं। फिलिस्तीन में 65 हजार लोगों के नरसंहार का जिम्मेदार नेतन्याहू को माना जाता है। ट्रंप ने ममदानी को "यहूदी-विरोधी" कहा और न्यूयॉर्क के यहूदी मतदाताओं से उन्हें वोट न देने की अपील की। यह दिखाता है कि इसराइल-फिलिस्तीन का मुद्दा अब अमेरिकी स्थानीय चुनावों में भी ध्रुवीकरण का एक प्रमुख हथियार बन गया है। ममदानी की जीत यह दर्शाती है कि एक प्रमुख अमेरिकी शहर में फिलिस्तीन के समर्थन में खड़ा होने वाला एक उम्मीदवार, ट्रंप के भारी विरोध के बावजूद, बहुमत हासिल कर सकता है। यह राष्ट्रीय स्तर पर इसराइल समर्थक नीतियों के प्रभुत्व को चुनौती दे सकता है।

डेमोक्रेट की जीत क्या ट्रंप के लिए खतरा हैः बिल्कुल। यह जीत ट्रंप के लिए एक बड़ा और वास्तविक खतरा है। ये चुनाव, खासकर वर्जीनिया जैसे स्विंग स्टेट में, यह दर्शाते हैं कि ट्रंप ब्रांड की राजनीति उन मतदाताओं को वापस नहीं ला पा रही है जो उनसे दूर हो गए थे। यह उनकी राष्ट्रीय अपील में गिरावट का संकेत है। इन चुनावों में मतदाताओं के मुख्य मुद्दे आर्थिक असमानता, स्वास्थ्य सेवा और आवास रहे हैं, जिन पर प्रगतिशील डेमोक्रेट्स का मजबूत रुख है। यह संकेत देता है कि ट्रंप का सांस्कृतिक युद्ध और ध्रुवीकरण की रणनीति अब इन आर्थिक चिंताओं को ढकने में सक्षम नहीं है। डेमोक्रेट्स की जीत पार्टी के भीतर उत्साह और एकजुटता बढ़ाती है, जो कि 2026 के मिड-टर्म चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है।

मिड टर्म चुनाव में क्या असर पड़ेगा 

ज़ोहरान ममदानी की जीत और वर्जीनिया तथा अन्य राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी के मजबूत प्रदर्शन को आगामी 2026 के मिड-टर्म चुनावों (Mid-Term Polls) के लिए एक महत्वपूर्ण आधार माना जा सकता है। इन नतीजों से यह संकेत मिलता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी, विशेषकर अपने प्रगतिशील और मध्यममार्गी दोनों धड़ों के माध्यम से, मतदाताओं को सक्रिय करने में सफल रही है। ममदानी की जीत प्रगतिशील उम्मीदवारों को बड़े शहरी निर्वाचन क्षेत्रों में उत्साह और प्रेरणा देगी। जहाँ वे किफायती आवास और सामाजिक सुरक्षा जाल जैसे मुद्दों पर जोर देंगे। वहीं, वर्जीनिया में मध्यममार्गी डेमोक्रेट की जीत यह दर्शाती है कि पार्टी उपनगरीय और स्विंग क्षेत्रों में भी ट्रंप विरोधी भावना और आर्थिक चिंताओं को भुनाने में सक्षम है।
यह स्पष्ट है कि ट्रंप की विभाजनकारी राजनीति और सांस्कृतिक युद्ध की रणनीति अब आर्थिक चिंताओं जैसे महंगाई और जीवन-यापन की बढ़ती लागत को ढकने में सक्षम नहीं है, जो मतदाताओं के लिए मुख्य मुद्दे बने हुए हैं। मिड-टर्म चुनावों में, रिपब्लिकन पार्टी ने अगर अपने उम्मीदवारों के चयन में सावधानी बरती तो शायद नतीजे बदल पाएं। अगर वे ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारते हैं जो केवल ट्रंप के प्रति वफादार हैं लेकिन उनकी व्यापक अपील नहीं है, तो डेमोक्रेट्स को हाउस और सीनेट में सीटें जीतने का एक बड़ा मौका मिल सकता है। कुल मिलाकर, इन चुनावों का असर मिड टर्म में पड़ना तय है। मिड-टर्म चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी से सदन (House) पर नियंत्रण वापस लेने की स्थिति बन सकती है।