अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को एक कड़ी चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा है कि जो भी देश ब्रिक्स की "अमेरिका विरोधी नीतियों" का समर्थन करेगा, उसे 10% अतिरिक्त टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर यह बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा।


चीन ने इसके जवाब में सोमवार को कहा कि ब्रिक्स समूह "टकराव" नहीं चाहता है। न्यूज़ एजेंसी एएफपी के अनुसार, विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "टैरिफ लगाने के संबंध में चीन ने बार-बार अपनी स्थिति स्पष्ट की है कि व्यापार और टैरिफ वॉर में कोई विजेता नहीं होगा। इससे कोई फायदा नहीं होगा।"

टैरिफ पत्र कई देशों को रवाना

ट्रंप ने लिखा, "कोई भी देश जो ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों के साथ खड़ा होगा, उस पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई छूट नहीं दी जाएगी। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!" उन्होंने यह भी घोषणा की कि अमेरिका विभिन्न देशों के साथ टैरिफ पत्र और व्यापार समझौते 7 जुलाई को दोपहर 12 बजे (पूर्वी समय) से भेजना शुरू करने जा रहा है।

ब्रिक्स में अमेरिका की टैरिफ नीतियों की आलोचना

यह चेतावनी ब्राजील के रियो डी जनेरियो में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान आई, जहां ब्रिक्स नेताओं ने रियो डी जनेरियो घोषणापत्र जारी किया। इस घोषणापत्र में अमेरिका की टैरिफ नीतियों की आलोचना की गई और वैश्विक व्यापार को अस्थिर करने वाले "अनुचित एकतरफा संरक्षणवादी उपायों" के खिलाफ चेतावनी दी गई। हालांकि घोषणापत्र में अमेरिका का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया गया, इसे ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

चीन ने सोमवार 7 जुलाई को ट्रंप को जवाब देते हुए राजनीतिक दबाव के साधन के रूप में टैरिफ के इस्तेमाल पर भी कड़ा विरोध जताया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, निंग ने बीजिंग के रुख को दोहराते हुए कहा, "टैरिफ के इस्तेमाल से किसी को फायदा नहीं होगा।" ब्रिक्स देशों के संयुक्त घोषणापत्र में भी "अंधाधुंध टैरिफ वृद्धि" की भी आलोचना की गई। ब्रिक्स ने सीधे तौर पर अमेरिका का जिक्र उसमें नहीं किया, लेकिन उसने कहा कि इस तरह के कदम से दुनिया का व्यापार ख़तरे में पड़ सकता है और अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन अस्थिर हो सकती हैं। ब्रिक्स देशों ने ईरान पर इसराइल और अमेरिकी हमले की भी निन्दा करके अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।

अमेरिकी डॉलर को चुनौती

ब्रिक्स समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, और हाल के वर्षों में इसमें मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश भी शामिल हो गए हैं। यह समूह वैश्विक आर्थिक शासन में पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देने और अमेरिकी डॉलर की भूमिका को कम करने की दिशा में काम कर रहा है।

भारत-यूएस ट्रेड डील पर अनिश्चितता

ट्रंप ने पहले भी ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी थी कि यदि वे अमेरिकी डॉलर को वैश्विक व्यापार में बदलने की कोशिश करेंगे, तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। उनकी यह नई 10% टैरिफ की धमकी वैश्विक व्यापार में और अनिश्चितता पैदा कर रही है, खासकर जब भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है।

ट्रम्प की धमकी का कितना असर 

ट्रम्प की ब्रिक्स देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी वैश्विक व्यापार और इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। विशेष रूप से भारत और चीन जैसे बड़े निर्यातकों पर इसका असर पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका इनके लिए एक प्रमुख बाजार है। भारत ने 2023-24 में अमेरिका को 123 अरब डॉलर का निर्यात किया है। ट्रम्प की धमकी से भारत का फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। टैरिफ से उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे भारतीय निर्यात की मुकाबला करने क्षमता कम हो सकती है। साथ ही, ब्रिक्स देशों की स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने की कोशिश को भी यह धमकी बाधित कर सकती है, क्योंकि अमेरिकी बाजार तक पहुंच सीमित हो सकती है।

ट्रम्प की धमकी भारत के लिए अवसर भी हो सकती है 

हालांकि, ब्रिक्स देशों, विशेष रूप से भारत, के लिए यह धमकी अवसर भी ला सकती है। भारत सरकार और वाणिज्य मंत्रालय इस टैरिफ के प्रभावों का विश्लेषण कर रहे हैं और इसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में चुनौती देने का विकल्प तलाश सकते हैं। क्योंकि यह कदम डब्ल्यूटीओ नियमों का उल्लंघन कर सकता है। भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार समझौते की बातचीत, जिसका लक्ष्य 2030 तक 500 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है, इस स्थिति को कम करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, भारत अपनी आत्मनिर्भरता और वैश्विक दक्षिण के साथ सहयोग को मजबूत करके इस प्रभाव को कम कर सकता है। फिर भी, ट्रम्प की नीतियों की अनिश्चितता और उनके आक्रामक व्यापारिक रुख से ब्रिक्स देशों को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है, खासकर वैकल्पिक पेमेंट सिस्टम और डॉलर बिना व्यापार को बढ़ावा देने के लिए।

बहरहाल, ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई है और हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की है। हालांकि, ट्रम्प का यह बयान ब्रिक्स के बढ़ते प्रभाव और उनकी नीतियों को लेकर अमेरिका की चिंताओं को दर्शाता है। वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर इस चेतावनी के प्रभाव को लेकर चर्चा तेज हो गई है।