अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टाइम मैगज़ीन के एक साक्षात्कार में दावा किया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उनसे फोन पर बात की है और दोनों देशों के बीच चल रही टैरिफ वार्ता में जल्द ही सकारात्मक नतीजे सामने आ सकते हैं। ट्रंप ने इसे "पूर्ण जीत" की संभावना बताया। लेकिन चीन ने इन दावों का ही खंडन कर दिया है। इसने कहा कि दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक वार्ता नहीं हो रही है। इस विरोधाभास ने टैरिफ़ युद्ध के भविष्य और दोनों देशों के रुख पर सवाल खड़े किए हैं।

ट्रंप प्रशासन ने 2 अप्रैल को वैश्विक व्यापार भागीदारों पर भारी टैरिफ़ लगाए। इसमें चीन पर 145% तक का टैरिफ़ शामिल था। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125% टैरिफ़ और दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर पलटवार किया। इस टकराव ने वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित किया, शेयर बाज़ारों में उथल-पुथल मचाई और कई देशों को आर्थिक अनिश्चितता में धकेल दिया। ट्रंप ने बाद में अधिकतर व्यापारिक भागीदारों पर टैरिफ़ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया, लेकिन चीन पर टैरिफ़ बरकरार रखे।

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ट्रंप का कहना है कि ये टैरिफ़ अमेरिकी विनिर्माण और व्यापार असंतुलन को ठीक करने के लिए ज़रूरी हैं। दूसरी ओर, शी जिनपिंग ने टैरिफ़ को वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए हानिकारक क़रार देते हुए दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है। 

टाइम मैगज़ीन को दिए साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा, 'शी ने मुझे फ़ोन किया। मुझे नहीं लगता कि यह उनकी कमजोरी का संकेत है।' उन्होंने यह भी दावा किया कि अगले तीन-चार हफ्तों में टैरिफ़ वार्ता में 200 सौदे पूरे हो सकते हैं।

ट्रंप ने इसे 'पूर्ण जीत' का संकेत बताया, यह कहते हुए कि अगर एक साल बाद भी अमेरिका 50% तक टैरिफ़ बनाए रखता है तो यह उनकी रणनीति की सफलता होगी।

चीन ने क्या कहा?

हालाँकि, चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा, 'चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ़ पर कोई परामर्श या वार्ता नहीं हो रही है। अमेरिका को जनता को गुमराह करना बंद करना चाहिए।' उन्होंने यह भी कहा कि अगर अमेरिका वास्तव में समाधान चाहता है तो उसे पहले सभी एकतरफ़ा टैरिफ़ हटाने चाहिए।

यह विरोधाभास ट्रंप प्रशासन की रणनीति और विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। ट्रंप ने बार-बार कहा कि उनके शी के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं, लेकिन उनकी टिप्पणियाँ और व्हाइट हाउस के परस्पर विरोधी बयान बाजारों में भ्रम पैदा कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने कहा कि औपचारिक वार्ता शुरू होने से पहले टैरिफ़ कम करना होगा, जो ट्रंप के दावों से मेल नहीं खाता।

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ट्रंप की टिप्पणियाँ अमेरिकी घरेलू दर्शकों के लिए हो सकती हैं, जहाँ वह टैरिफ़ को अपनी आर्थिक नीति की जीत के रूप में पेश करना चाहते हैं। हालाँकि, वैश्विक स्तर पर, उनके परस्पर विरोधी बयानों ने अनिश्चितता बढ़ाई है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प टैरिफ़ वार्ता का उपयोग अन्य देशों को चीन के साथ व्यापार सीमित करने के लिए दबाव डालने में करना चाहते हैं।

शी जिनपिंग ने टैरिफ़ युद्ध का जवाब देने के लिए कूटनीतिक रणनीति अपनाई है। पिछले हफ्ते उन्होंने वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया की यात्रा की, जहाँ उन्होंने टैरिफ़ और एकतरफा दबाव के खिलाफ एकजुटता की अपील की। चीन ने दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार बढ़ाया है जो अब उसका सबसे बड़ा क्षेत्रीय व्यापारिक भागीदार है। यह दिखाता है कि चीन वैश्विक अलगाव से बचने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

टैरिफ़ युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। अमेरिकी बंदरगाहों पर आयात कम हो रहा है और खुदरा विक्रेताओं ने चेतावनी दी है कि कुछ हफ्तों में दुकानों में सामान की कमी हो सकती है। जर्मनी ने 2025 के लिए शून्य जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, जिसका एक कारण ट्रंप के टैरिफ़ हैं।

ट्रंप का दावा कि शी ने उनसे बात की, संभवतः उनके प्रशासन के भीतर आशावाद को दिखाता है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, चीन कुछ अमेरिकी आयातों पर 125% टैरिफ़ में छूट देने पर विचार कर रहा है। हालांकि, चीन की ओर से स्पष्ट इनकार दोनों पक्षों के बीच अभी भी गहरे मतभेद हैं।

ट्रंप के दावों पर सवाल उठते हैं, क्योंकि वह ठोस सबूत देने से बच रहे हैं। जब पत्रकारों ने उनसे शी के साथ बातचीत के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन मैंने उनसे कई बार बात की है।' यह अस्पष्टता उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकती है, जिसका मक़सद बाजारों और विपक्षी देशों को अनुमान लगाने पर मजबूर करना है।

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चीन की प्रतिक्रिया दिखाती है कि वह ट्रंप के दबाव में झुकने को तैयार नहीं है। शी की दक्षिण-पूर्व एशियाई यात्रा और विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका के ख़िलाफ़ मुक़दमा दायर करना यह संकेत देता है कि चीन लंबी लड़ाई के लिए तैयार है।

ट्रंप का दावा कि शी जिनपिंग ने उनसे बात की और टैरिफ़ वार्ता में 'पूर्ण जीत' संभव है, एक ओर उम्मीद जगाता है, तो दूसरी ओर संदेह पैदा करता है। चीन के खंडन और दोनों पक्षों के बीच विश्वास की कमी को देखते हुए, यह कहना मुश्किल है कि क्या वाक़ई कोई सौदा निकट है। ट्रंप की रणनीति वैश्विक व्यापार को फिर से नया रूप देने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसके परिणाम अनिश्चित हैं। अगले कुछ हफ्ते इस टैरिफ़ युद्ध के भविष्य को तय करने में अहम होंगे और वैश्विक अर्थव्यवस्था इसकी क़ीमत चुका रही है।