US Pakistan relations: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का पाकिस्तान प्रेम जाग उठा है। उन्होंने पाकिस्तान से ट्रेड डील की घोषणा की है। तेल का रिजर्व वहां बनाएंगे। क्या यह सब भारत को नीचा दिखाने की कोशिश है। क्यों बदल रही है यूएस रणनीति, जानिए
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पूरा फोकस इस समय दक्षिण एशिया, खासकर भारत और पाकिस्तान पर है। ट्रंप ने एक तरफ भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल और रक्षा सौदों के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाने का ऐलान किया। दूसरी तरफ पाकिस्तान के साथ एक बड़े व्यापारिक समझौते की घोषणा की, जिसमें अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर पाकिस्तान के "विशाल तेल भंडार" को विकसित करेंगे। इसी आधार पर ट्रंप ने यह चौंकाने वाला बयान भी दिया कि भविष्य में पाकिस्तान भारत को तेल बेच सकता है। पीएम मोदी जिस ट्रंप को माय फ्रेंड ट्रंप कहकर नहीं अघाते थे, जिसके लिए वो अमेरिका में चुनाव प्रचार करने गए, उसी ट्रंप ने अब भारत की तरफ से मुंह मोड़ लिया।
पाकिस्तान से तेल सौदा: क्या है माजरा?
31 जुलाई 2025 को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ सोशल' पर घोषणा की कि अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ एक व्यापारिक समझौता किया है। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान में "विशाल तेल भंडार" को विकसित करना है। ट्रंप ने कहा कि यह साझेदारी अभी प्रारंभिक चरण में है, और इसके लिए किसी प्रमुख अमेरिकी तेल कंपनी को चुना जाएगा। यह घोषणा तब आई जब कुछ ही घंटों पहले ट्रंप ने भारत पर 25% आयात शुल्क और रूस से तेल और रक्षा खरीद के लिए अतिरिक्त जुर्माने की घोषणा की थी। यहां बताना जरूरी है कि पाकिस्तान लंबे समय से अमेरिकी तेल कंपनियों को अपने यहां ड्रिलिंग के लिए बुला रहा है, लेकिन कोई तैयार नहीं है।
पाकिस्तान ने हाल के हफ्तों में अपने तेल भंडार की खोज को लेकर बड़े दावे किए हैं। हालांकि, विशेषज्ञ इन दावों पर सवाल उठा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान में तेल और गैस की खोज के लिए 30 अरब डॉलर की आवश्यकता है, और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने अभी तक इसमें रुचि नहीं दिखाई है। इसके अलावा, सुरक्षा चिंताएं और पहले शेल जैसी कंपनियों द्वारा अपने व्यापारिक हितों को सऊदी कंपनी अरामको को बेचने जैसे कदम भी इस प्रोजेक्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन ट्रंप को घोषणा करने और पाकिस्तान को खुश होने से कौन रोक सकता है।
ट्रंप के इस बयान का मतलब
ट्रंप का यह बयान कि "हो सकता है कि एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचे" ने भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में काफी चौंकाने वाला है। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध बेहद सीमित हैं, और दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण इतिहास को देखते हुए यह बयान अव्यावहारिक और भड़काऊ लगता है। भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का 80% आयात करता है, जिसमें मध्य पूर्व, रूस, और अन्य क्षेत्रों से आपूर्ति शामिल है। भारत का तेल आयात बिल 2024 में 132 अरब डॉलर (लगभग 11 लाख करोड़ रुपये) था, और वह अपनी आपूर्ति में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में, पाकिस्तान से तेल आयात करने की बात न केवल आर्थिक रूप से असंभव लगती है। अलबत्ता यह एक कूटनीतिक संदेश भारत के लिए जरूर है। भारत पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों के बारे में ट्रंप अच्छी तरह जानते हैं।
ट्रंप अब तक 30 बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवा दिया। जबकि पीएम मोदी से लेकर विदेश मंत्री जयशंकर और तमाम बीजेपी नेता लगातार खंडन कर रहे हैं कि किसी तीसरे देश के बीच बचाव से युद्ध खत्म नहीं हुआ। मोदी ने यह तक कहा कि किसी देश ने हमें युद्ध से रोका नहीं। लेकिन अब उन्हीं ट्रंप ने एक कदम जाकर तेल कूटनीति खेलकर मोदी पर दबाव बढ़ा दिया है।
भारत को कूटनीतिक संदेश
पाकिस्तान के साथ ट्रंप की यह डील भारत के लिए एक कूटनीतिक संदेश के रूप में देखी जा रही है। मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था, और ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने दोनों देशों को शांत करने के लिए व्यापारिक सौदों की पेशकश की थी। भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया था, लेकिन अब पाकिस्तान के साथ इस डील की घोषणा भारत के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री का हालिया अमेरिका दौरा और विदेश मंत्री इसहाक डार का बयान कि डील अंतिम चरण में है, इस बात की पुष्टि करता है कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हो रहे हैं। पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका उस पर लगने वाले 29% आयात शुल्क को हटाकर जीरो टैरिफ नीति अपनाए, जिससे उसकी निर्यात बढ़े। 2024 में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच 7.3 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था, जिसमें पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) मिला था।भारत पर टैरिफ और रूस को लेकर दबाव
ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान 1 अगस्त से लागू होने वाले टैरिफ की घोषणा से पहले किया। इसके पीछे दो मुख्य कारण बताए गए हैं: पहला, ट्रंप का मानना है कि भारत दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक है और गैर-टैरिफ बाधाएं (नॉन-टैरिफ बैरियर्स) लागू करता है। दूसरा, भारत का रूस से तेल और रक्षा उपकरणों की खरीद, जिसमें S-400 मिसाइल सिस्टम, सुखोई-30 MKI जेट, और T-90 टैंक जैसे सौदे शामिल हैं, ट्रंप प्रशासन को पसंद नहीं है। ट्रंप ने रूस से व्यापार करने वाले देशों (जैसे भारत और चीन) पर 500% टैरिफ की धमकी भी दी है, ताकि रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया जा सके और यूक्रेन युद्ध में दबाव बनाया जा सके।
भारत और अमेरिका के बीच 2024 में 128 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था, और भारत अमेरिका का एक प्रमुख निर्यातक बाजार है। इस टैरिफ से भारत के फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल, आईटी, ऑटो, और जेम्स-ज्वैलरी जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है, जिससे जीडीपी में 0.2% से 0.5% तक की गिरावट की आशंका है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील कहां फंसी हुई है
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। भारत अपनी शर्तों पर अड़ा हुआ है, खासकर कृषि और डेयरी सेक्टर में, जहां अमेरिका टैरिफ में कमी की मांग कर रहा है। भारत का कहना है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "भारत आज मजबूती और आत्मविश्वास की स्थिति में बातचीत कर रहा है।" दूसरी ओर, ट्रंप ने दावा किया कि भारत टैरिफ में कटौती के लिए तैयार है, लेकिन भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि कोई भी समझौता भारत की शर्तों पर होगा।
भारत की रणनीति
भारत ने ट्रंप की नीतियों का जवाब देने के लिए अपनी रणनीति को मजबूत किया है। हाल ही में भारत ने ब्रिटेन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार 34 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। यह डील ट्रंप के टैरिफ युद्ध के बीच भारत की रणनीति को दर्शाती है कि वह केवल अमेरिकी बाजार पर निर्भर नहीं है। इसके अलावा, भारत रूस से सस्ते तेल और रक्षा उपकरणों की खरीद जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि ये उसके भू-राजनीतिक और आर्थिक हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह अमेरिका के साथ व्यापार समझौता चाहता है, लेकिन अपनी शर्तों पर। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को ट्रंप की नीतियों का जवाब देने के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति को और मजबूत करना होगा, साथ ही घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना होगा।
ट्रंप की नीतियां एक बार फिर दक्षिण एशिया में जियो पॉलिटिक्स को बदल रही हैं। पाकिस्तान के साथ तेल सौदा और भारत पर टैरिफ का ऐलान एक रणनीतिक चाल है, जिसका उद्देश्य रूस को कमजोर करना, अमेरिकी हितों को बढ़ावा देना, और भारत पर दबाव बनाना हो सकता है। हालांकि, भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और आर्थिक हितों को प्राथमिकता दे रहा है। पाकिस्तान से तेल आयात करने का विचार भले ही ट्रंप का एक कूटनीतिक बयान हो, लेकिन यह भारत-पाकिस्तान संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए नए सवाल खड़े करता है।