बीजेपी ने आंध्र प्रदेश में 'ऑपरेशन लोटस' शुरू कर दिया है। इस ऑपरेशन के तहत बीजेपी ने टीडीपी ने चार राज्यसभा सदस्यों को अपना बना लिया है। यह ऑपरेशन यहीं नहीं रुकने वाला है। अब बीजेपी की नज़र टीडीपी के विधायकों पर है।
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के नेतृत्व वाली कुमारस्वामी सरकार की विदाई के स्पष्ट संकेत मिलते दिखाई दे रहे हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी कर्नाटक और तेलंगाना को छोड़ दक्षिण के किसी अन्य राज्य में कुछ भी हासिल नहीं कर पायी। अब बीजेपी के रणनीतिकारों ने दक्षिण के सभी राज्यों के लिए एक ख़ास रणनीति बनायी है।
कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस सरकार के गिरने की आशंकाओं के बीच राज्य में बीजेपी नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी आलाक़मान येदियुरप्पा के स्थान पर किसी नये नेता की तलाश में जुट गया है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने कांग्रेस के सामने एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। केसीआर ने कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों को तोड़ लिया है।
तमिलनाडु के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में जहाँ डीएमके गठबंधन को शानदार जीत दिलायी, वहीं 22 विधानसभा सीटों के लिए उप-चुनाव में 9 सीटें मुख्यमंत्री पलानीसामी को जीत दिलाकर सरकार बचा ली। तो क्या वोटर मोदी से नाराज़ थे?
कांग्रेस और जेडीएस के कई विधायक बीजेपी के नेता येदियुरप्पा के सीधे संपर्क में हैं। बताया जा रहा है कि कुमारस्वामी सरकार कभी भी गिर सकती है।
केरल में वामपंथी पार्टियों की हार से यह साफ़ हो गया है कि पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के बाद केरल से भी वाम मोर्चे का सफ़ाया हो सकता है। बीजेपी ध्रुवीकरण की तलाश में है।
पार्टी की स्थापना के बाद से टीडीपी की अबतक की सबसे बुरी हार हुई है। चुनाव नतीजों से साफ़ है कि इस बार आंध्र प्रदेश में जगन नाम की सुनामी रही।
कर्नाटक में अगर देवेगौड़ा और उनके दोनों पोतों में से एक की भी हार होती है तो जेडीएस और कांग्रेस का गठबंधन टूट जाएगा और कुमारस्वामी सरकार गिर जाएगी।
त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में दक्षिण का कोई भी नेता देश का प्रधानमंत्री हो सकता है, अगर न भी हुआ तो केसीआर, जगन मोहन रेड्डी, स्टालिन, देवेगौड़ा किंगमेकर ज़रूर बनेंगे।
के. चंद्रशेखर राव ने एक बार फिर से फ़ेडरल फ़्रंट बनाने की कवायद शुरू कर दी है। उन्होंने नये सिरे से मुलाक़ातों का दौर किया है। चर्चा है कि केसीआर की कोशिश ग़ैर-भाजपाई और ग़ैर-कांग्रेसी मोर्चा बनाने की है।
तेलंगाना में खराब नतीजे की वजह से हफ़्ते भर में 22 छात्रों की खुदकुशी ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। सवाल है, वहाँ फल-फूल रही कॉरपोरेट शिक्षा व्यवस्था को कैसे बदला जाए।
कर्नाटक की तीन लोकसभा सीटों- तुमकुर, मांडया और हासन के नतीजे तय करेंगे कि कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन रहेगा या नहीं और कुमारस्वामी सरकार टिकेगी या नहीं। आख़िर क्या है पूरा मामला?
देशभर में सिर्फ़ केरल में ही वामपंथी सत्ता में हैं और अगर लोकसभा चुनाव में यहाँ उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो यहाँ से भी उनके सफाये की भूमिका तैयार हो जाएगी।
तमिलनाडु में राष्ट्रीय पार्टियों का कोई वजूद नहीं है और बीजेपी और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय पार्टियों की किस्मत द्रविड़ पार्टियों पर ही टिकी हुई हैं।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लोकसभा चुनाव तो हो गए, पर आधार कार्ड की जानकारियाँ लीक होने से हड़कंप मचा हुआ है। क्या वोटरों को प्रभावित करने के लिए डाटा की चोरी की गयी?
आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों के साथ 25 लोकसभा सीटों के लिए भी मतदान हुआ। मतदान के दौरान भी राजनीति हुई। चन्द्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी के बीच सीधा मुक़ाबला रहा।
राहुल गाँधी ने वायनाड को देश के राजनीतिक मानचित्र पर ख़ास पहचान दिला दी है। पश्चिमी घाट की हरी-भरी सुंदर पहाड़ियों के बीच बसे वायनाड को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। जवाब क्या होगा?
राहुल गाँधी ने अमेठी के साथ ही दक्षिण की एक ‘सुरक्षित’ सीट वायनाड से चुनाव लड़ने का फ़ैसला लिया है। राहुल के यहाँ से चुनाव लड़ने के पीछे कई कारण बताये जा रहे हैं।
तेलंगाना में कांग्रेस की हालत ख़राब है। एक के बाद एक कांग्रेस के विधायक सत्ताधारी टीआरएस में शामिल होते जा रहे हैं। कांग्रेस के 19 विधायकों में से 9 ने एलान कर दिया है कि वे अब टीआरएस के साथ हैं।
वाईएसआर कांग्रेस के जगमोहन रेड्डी के चाचा वाई. एस. आर विवेकानंद रेड्डी की हत्या के बाद आंध प्रदेश में सियासी भूचाल आया हुआ है। वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
मुहम्मद अज़हरुद्दीन इस बार लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़ सकते हैं। कांग्रेस आलाकमान क्यों चाहता है कि अज़हरुद्दीन इस बार हैदराबाद से चुनाव लड़ें और असदउद्दीन ओवैसी को सीधे चुनौती दें।