जस्टिस मार्कंडेय काटजू भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं।
भारत के कई हिस्सों में अशिक्षित आम आदमी की भाषा हिंदुस्तानी या खड़ी बोली थी जबकि शिक्षित भारतीयों की भाषा उर्दू थी, चाहे वह हिंदू, मुसलमान या सिख हो।
लॉकडाउन के कारण देश के दिहाड़ी मजदूरों को भयंकर मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है और उनके भुखमरी से मरने का ख़तरा है। इसे तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।
धर्म विश्वास और दिव्य रहस्योद्घाटन पर निर्भर है जबकि विज्ञान प्रयोग और तर्क पर निर्भर है। अगर हमें प्रगति करनी है तो हमें धर्म छोड़कर विज्ञान को अपनाना चाहिए।
हिटलर के नाज़ी मंत्री गोएबल्स का एक सिद्धांत था 'जितना बड़ा झूठ होगा, वह उतनी ही आसानी से जनता द्वारा निगला जाएगा'। क्या भारतीय अधिकारियों का एक बड़ा वर्ग और हमारे ज़्यादातर बेशर्म और बिके हुए भारतीय मीडिया गोएबल्स के वफादार शिष्य हैं?
मीडिया समाज के ज़रूरी मुद्दों को उठाने के बजाय अंधविश्वास फैलाने और सरकार की चाटुकारिता करने में व्यस्त है। ऐसे में क्या वह किसी आज़ादी का हक़दार है?
लॉकडाउन के कारण देश भर में कई जगहों पर कश्मीरी फंस गए। ऐसे में फ़ेसबुक पोस्ट के माध्यम से लोगों को इस बारे में बताया गया तो सैकड़ों लोग मदद के लिए आगे आए।
25 मार्च से कोरोना वायरस के डर के कारण भारत एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में है, और अब स्थिति का एक बार फिर से आकलन करने का समय आ गया है।
भारत में हाल के कुछ महीनों में मुसलमानों पर अत्याचार और उत्पीड़न बढ़े हैं तथा मीडिया के कुछ लोगों द्वारा उन्हें आतंकवादी और राष्ट्र विरोधी नागरिकों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
वर्तमान कोरोना वायरस की समस्या कुछ समय बाद ख़त्म हो जाएगी और फिर आर्थिक समस्याएँ अधिक उग्र रूप में हमारे उपमहाद्वीप में उत्पन्न होंगी। केवल वैज्ञानिक मानसिकता के बुद्धिजीवी ही इन्हें हल कर सकते हैं लेकिन वर्तमान में इसका बड़ा अभाव है।