25 मार्च से कोरोना वायरस के डर के कारण भारत एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में है, और अब स्थिति का एक बार फिर से आकलन करने का समय आ गया है।
लॉकडाउन एक ग़लती, समाप्त करे सरकार
- विचार
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- 22 Apr, 2020

नई दिल्ली का आईटीओ चौराहा।
लॉकडाउन के बिना कोरोना वायरस हज़ारों भारतीयों को मार सकता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह निश्चित तौर पर भुखमरी से लाखों लोगों को मार देगा। इसका कारण यह है कि लगभग 40-45 करोड़ लोग हमारी अर्थव्यवस्था के अनौपचारिक/असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं- जैसे कि दिहाड़ी मज़दूर, प्रवासी कामगार इत्यादि। इन लोगों के पास नौकरी की कोई स्थायी सुरक्षा नहीं है, और उन्हें रोज़ाना खाने के लिए काम करना पड़ता है।
क्या कोरोना एक ऐसा ख़तरा है जो देशव्यापी लॉकडाउन के लायक है? मेरा मानना है कि यह उतना गंभीर विषय नहीं है, और 24 मार्च की शाम को प्रधानमंत्री द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा, विशेषज्ञों के साथ उचित परामर्श के बिना और इतने गंभीर निर्णय लेने के सभी पहलुओं पर विचार किए बिना एक जल्दबाज़ी की प्रतिक्रिया थी। हम इस मामले पर कुछ विस्तार से विचार कर सकते हैं।
यू.एस. सेंटर फ़ॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, फ्लू (इन्फ्लूएंजा) से हर साल दुनिया भर में लगभग 646,000 लोगों की मृत्यु होती है— यानी प्रति दिन लगभग 2000 लोगों की मृत्यु। इनमें से बड़ी संख्या में मौतें भारत में होती हैं।
2016 में, 20 करोड़ से अधिक लोगों को मलेरिया हुआ, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 700,000 मौतें (यानी लगभग 2,000 प्रति दिन मृत्यु) हुईं। इनमें से भी अधिकतर मृत्यु भारत में हुई।