क्या यह सच है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने सादात हॉस्टल के मौलाना को कड़ाके की ठंडी रात में नंगा कर बुरी तरह पीटा? क्या यह सच है कि 100 स्कूली बच्चों को हिरासत में लेकर बुरी तरह पीटा गया? क्या है मामला, देखें सत्य हिन्दी पर प्रमोद मल्लिक के साथ।
केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने ऐसा क्या कह दिया है कि पूरी ट्रोल आर्मी उनके पीछे पड़ गई है। लोग उन्हें कट्टरपंथी मुसलमान बता रहे हैं, जिहादी कह रहे हैं? आख़िर क्यों कहा जा रहा है कि सभी मुसलमानों को पाकिस्तान भेज देना चाहिए। सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
आदित्य ठाकरे के राज्य सरकार में मंत्री बनने से यह सवाल उठने लगा है कि क्या इस पार्टी में पुराने, दिग्गज और वरिष्ठ नेता एकदम अप्रासंगिक हो चुके हैं?
हेमंत सोरेन ऐसे समय झारखंड के मुख्यमंत्री बने हैं, जब राज्य की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल है, बेरोज़गारी चरम पर है और ख़जाना खाली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही कहें कि देश में एक भी डिटेंशन कैम्प नहीं है, पर असम में 6 कैंप के अलावा दूसरे राज्यों में भी इस तरह के कैंप हैं और नए कैंप बन भी रहे हैं।
थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने एक बार फिर राजनीतिक बयान देकर अपनी निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर दिया है।
इसे क्या माना जाए? क्या उग्र हिन्दुत्व की हार है? क्या यह मोदी-शाह की आक्रामक राजनीति की हार है? क्या यह बताता है कि बीजेपी लोगों से जुड़े मुद्दे नहीं उठा पाई?
ताज़ा रुझानों में झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुआई वाले महागठबंधन को बहुमत मिल गया है। सवाल यह उठता है कि क्या हेमंत सोरेन के सिर मुख्यमंत्री का ताज सजेगा?
झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों से यह पता चलेगा कि क्या मोदी का जादू ख़त्म हो गया, क्या अमित शाह की प्रबंध तकनीक अब कारगर नहीं रही?
क्या राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव का अपने कार्यकर्ताओं पर कोई नियंत्रण नहीं है? यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है कि नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शनिवार को हुए बिहार बंद के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। जब आरजेडी के लोग हिंसा कर रहे थे, कहाँ थे पार्टी के केंद्रीय नेता? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
कारगिल युद्ध के हीरो मुहम्मद सना उल्लाह असम के डीटेंशन कैंप यानी बंदी गृह में बंद हैं। सेना में 30 साल तक काम करने और ऑनरेरी लेफ़्टीनेंट के पद से सम्मानित किए जाने के बावजूद उनसे नागरिकता साबित करने को कहा गया। बाद में उन्हें विदेशी घोषित कर डीटेंशन कैंप भेज दिया गया। पूरी बात सत्य हिन्दी पर बता रहे हैं प्रमोद मल्लिक।
नागरिकता क़ानून लगाने से पहले यह पता लगा लिया जाए कि कितने लोग इसके पक्ष में हैं और कितने इसके ख़िलाफ़। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र या उस जैसी किसी एजंसी की निगरानी में जनमत संग्रह करा लिया जाए। यह माँग किसने की है? इसका क्या नतीजा होगा? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
नागरिकता संशोधन अधिनियम ने पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को वह बहाना दे दिया है, जिसका फ़ायदा उठा कर वह बंगाली पहचान का मुद्दा उठाए और इस तरह अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाए।
ब्रिटेन के आम चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला है, जबकि वामपंथी लेबर पार्टी की बेहद बुरी हार हुई है। इससे ब्रिटेन के यूरोपीय संघ छोड़ने का रास्ता साफ़ हो गया।
पहले नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स (एनआरसी) और अब नागरिकता संशोधन विधेयक, इन दो चीजों ने असम समेत पूरे पूर्वोत्तर को उद्वेलित कर रखा है।
गृह मंत्री अमित शाह कुछ भी कहें, सच यह है कि पाकिस्तान में मुसलमान भी धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हैं। शिया, अहमदिया और इसमाइली समुदाय के लोग हमेशा ही सरकार और बहुमत सुन्नी के निशाने पर रहे हैं।
जिन पार्टियों ने पिछली बार नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया था, उनमें से कई का रुख बदला हुआ है। क्या बीजेपी इसे राज्यसभा मे भी पारित करवा लेगी?
बीजेपी झारखंड में भी कश्मीर, अनुच्छेद 370, एनआरसी और राम मंदिर के मुद्दे उठा रही है, जबकि यहाँ के पुराने मुद्दे जल-ज़मीन-जंगल से जुड़े हुए हैं।
क्या प्याज की बढ़ी कीमतें झारखंड में बीजेपी के लिए एक और नई मुसीबत ला रही है? यह नयी मुसीबत इसलिए भी है कि उसके सहयोगी दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं और विपक्षी दल गठबंधन में हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी प्रत्याशियों की जीत बहुत बड़े अंतर से नहीं हुई थी। ऐसे में प्याज की बढ़ी क़ीमतें क्या झारखंड बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक के साथ।
लंदन ब्रिज़ पर हुए आतंकवादी हमले में दो लोग मारे गए, संदिग्ध आतंकवादी भी मारा गया। क्या भारत में भी इस तरह की वारदात हो सकती है?
अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आख़िर सरकार आर्थिक बदहाली की बात क्यों नहीं मानती है? जब ख़ुद सरकारी एजेंसियाँ और रिज़र्व बैंक आर्थिक स्थिति से जुड़े चिंताजनक आँकड़े देते हैं, सरकार क्यों लगातार इनकार कर रही है? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ने गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त एक बार नहीं कहा, उन्होंंने संसद में भी उसे दुहराया। पर गाँधी से नफ़रत करना तो आरएसएस का इतिहास रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक मंदी की बात से इनकार तो किया ही है, उन्होंने कहा कबी मंदी हो ही नहीं सकती। पर ख़ुद सरकारी आँकड़े उनकी बात को झूठ साबित करते हैं।
क्या झामुमो ने झारखंड विधानसभा चुनावों में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण का कार्ड खेला है?
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अब सारा ध्यान एक बार फिर राज्यपाल और प्रो-टेम स्पीकर पर जा रहा है।
महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश की निगाहें अब विधानसभा में होने वाले फ़्लोर टेस्ट पर टिकी हुई हैं, जिससे राज्य ही नहीं, देश की दशा-दिशा भी तय होगी।