रंजीत कुमार देश के मशहूर रक्षा विशेषज्ञ हैं।
इजरायल में इन दिनों आम लोग प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ख़िलाफ़ सड़कों पर क्यों उतरे हैं? आख़िर नेतन्याहू सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्ति में बदलाव क्यों चाहते हैं? विरोध से क्या इजरायल की सुरक्षा पर आँच आएगी?
रूस-यूक्रेन युद्ध का एक साल पूरा हो गया। क्या युद्ध के किसी भी तरह ख़त्म होने या शांति की उम्मीद दिखाई दे रही है? रूस की ताज़ा धमकी के क्या मायने हैं?
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का आज निधन हो गया। जानिए जम्मू कश्मीर में घुसपैठ कराने वाले मुशर्रफ़ आख़िर शांति वार्ता की बात कैसे करने लगे थे।
देश के डिफेंस बजट के लिए घोषित 13 फीसदी की बढ़ोतरी कोई मायने नहीं रखती, वो भी ऐसे वक्त में जब आपको चीन से लगातार चुनौती मिल रही हो और पाकिस्तान के मंसूबे भी खतरनाक हों।
पड़ोसी देश पाकिस्तान से अच्छी खबरें नहीं हैं। महंगाई चरम पर है। कभी पूरे देश में बिजली कई घंटे के लिए चली जाती है। शहरों में सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। विपक्ष के नेता इमरान खान की लोकप्रियता सरकार के मुकाबले बहुत ज्यादा है।
भारत-चीन सीमा पर एक बार फिर चीन ने घुसपैठ की कोशिश की है। इससे पहले चुमार, डोकलाम, देपसांग, गलवान में चीनी सेना घुसपैठ की कोशिश कर चुकी है। आखिर चीन क्या चाहता है?
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में मज़बूत होते हुए दिख रहे शी जिनपिंग क्या आम जनता की नज़र में कमजोर होते जा रहे हैं? आख़िर उनकी सत्ता को लोग चुनौती क्यों दे रहे हैं और इसके क्या मायने हैं?
इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन से क्या हासिल हुआ? क्या आर्थिक सहयोग को लेकर कुछ बात बनी? क्या यूक्रेन युद्ध पर कुछ ठोस निर्णय हुआ?
पाकिस्तान की हुकूमत से इमरान खान की विदाई हो गई है लेकिन अब जो नई हुकूमत आएगी वह क्या मुल्क के भीतर कुछ बदलाव कर पाएगी?
बदले वैश्विक हालात में क्या दुनिया के बड़े संगठनों के अस्तित्व ख़तरे में हैं? इन संगठनों पर यूक्रेन संकट और भारत-चीन के बीच ख़राब रिश्तों का कितना असर पड़ रहा है?
यूक्रेन में रूस द्वारा युद्ध तो छेड़ दिया गया है, लेकिन इसका अब अंत कैसे होगा? आख़िर इसकी संभावना क्या है और यूक्रेन के लिए सबसे बेहतर क्या हो सकता है?
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत का जाना निश्चित रूप से भारतीय सेना की चुनौतियों में इजाफा करेगा।
चीनी सेना ने देमचोक गांव में छह जुलाई को अपने सैनिक भेजे। देमचोक गांव में कुल 31 घर हैं जहां 78 लद्दाखी रहते हैं। यही लद्दाखी लोग दलाई लामा का जन्मदिन मना रहे थे तब चीनी सैनिक कई वाहनों पर सवार होकर बड़े चीनी झंडे लेकर भारतीय इलाक़े में घुसे।
छह महीने से अधिक वक़्त तक पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों में भारतीय सेनाओं के साथ तनातनी के बाद चीनी सेना अब पीछे लौटेने को तैयार हो गई है। टकराव के सभी सीमांत इलाकों से दोनों देशों के सेनिक पीछे हट जाएंगे।
डोनल्ड ट्रम्प अमेरिकी विदेश और समर नीति में जो विरासत छोड़ गए हैं, उनमें मौलिक बदलाव अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन कर सकेंगे या नहीं, इस पर सामरिक हलकों में बहस छिड़ गई है।
ऑस्ट्रेलिया और जापान की अर्थव्यवस्थाओं की नकेल चीन के हाथों में है जिसे चीन जब भी कस कर खींचने लगेगा, दोनों देश ख़ुद पर लगाम कस लेंगे।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी के आला नेताओं की चार दिनों तक चले सालाना अधिवेशन के बाद 29 अक्टूबर को जो नतीजे घोषित किये गए हैं उससे साफ हुआ है कि चीन की सत्ता पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पकड़ मजबूत बनी हुई है।
आगामी 26 और 27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच विदेश व रक्षा मंत्रियों की ‘टू प्लस टू’ की अहम वार्ता होने वाली है जो ट्रंप प्रशासन की भारत के साथ अंतिम सामरिक वार्ता होगी।
साझा मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को भी चौथे साझेदार के तौर पर शामिल कर चीन को साफ कर दिया है कि राजनयिक स्तर पर 4 देशों का जो साझा राजनयिक मंच 'क्वाड' के नाम से बन चुका है, उसका अब सैन्य मंच भी होगा।
म्यांमार को भारतीय नौसेना की एक पुरानी पनडुब्बी देने का एलान कर भारत ने सामरिक हलकों में सनसनी तो पैदा की ही है, पहली बार चीन का इस इलाक़े से पत्ता काटने की एक बड़ी सामरिक पहल को कामयाबी मिली है
चीन ने सैन्य इरादों से किये जा रहे ढाँचागत निर्माण का सवाल खड़ा कर पूरे विवाद को नया मोड़ देने की कोशिश की है। चीन ने साफ़ कहा है कि दोनों देशों के बीच जो मौजूदा सैन्य तनाव चल रहा है उसकी जड़ में भारत द्वारा ढाँचागत निर्माण ही वजह है।
भारत ने चीन को भी एक संदेश दिया है कि जिस तरह वह भारत की सम्प्रभुता का सम्मान नहीं करता है उसी तरह भारत भी चीन की प्रादेशिक एकता का सम्मान करने के लिये प्रतिबद्ध नहीं है।
कोरोना महामारी से निबट लेने के बाद दुनिया में देशों के बीच रिश्तों के समीकरण कैसे बनेगें, इसकी एक झलक तोक्यो में 6 अक्टूबर को चार देशों- अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत के विदेश मंत्रियों की दूसरी साझा बैठक से मिली है।
सीमा और भूभाग के मसले पर 29 सितम्बर को चीन ने अचानक अपना रुख कड़ा करने के एक दिन बाद अपने तेवर नरम किये हैं। उसने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की 10 सितम्बर को मास्को में हुई बैठक के बाद बनी पांच- सूत्री सहमति को लागू करने पर ज़ोर दिया है।
चीन ने साठ साल पहले का दावा दुहरा कर भारत चीन के बीच चल रही मौजूदा सैन्य तनातनी को नया मोड़ दे दिया है। चीन द्वारा फिर से किये गए इस दावे को भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है।
मालदीव की सरकार परेशान है कि अगर वह चीन को कर्जों का भुगतान वक्त पर नहीं करेगी तो चीन न जाने उसके साथ कैसे पेश आएगा।