सामरिक हल्क़ों में कहा जाता है कि युद्ध शुरू करना तो आसान होता है लेकिन इसे किस बिंदु पर ख़त्म किया जाए, यह तय करना काफ़ी मुश्किल होता है। लेकिन यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस द्वारा छेड़े गए एकतरफ़ा युद्ध में राष्ट्रपति पुतिन का लक्ष्य साफ़ है- यूक्रेन में सत्ता पलट  कर उसे अपने राजनीतिक और सामरिक प्रभुत्व में लाना। वास्तव में पुतिन ने यूक्रेन में सत्ता बदलने का अभियान काफी हद तक अमेरिका द्वारा कोसोवो, इराक या लीबिया में सत्ता पलट की तर्ज पर ही छेड़ा है।  जिस तरह इराक, लीबिया या कोसोवो की मदद के लिये कोई दूसरा देश आगे नहीं आया उसी तरह यूक्रेन को भी इसके समर्थक देशों ने अकेला छोड़ दिया है।