सामरिक हल्क़ों में कहा जाता है कि युद्ध शुरू करना तो आसान होता है लेकिन इसे किस बिंदु पर ख़त्म किया जाए, यह तय करना काफ़ी मुश्किल होता है। लेकिन यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस द्वारा छेड़े गए एकतरफ़ा युद्ध में राष्ट्रपति पुतिन का लक्ष्य साफ़ है- यूक्रेन में सत्ता पलट कर उसे अपने राजनीतिक और सामरिक प्रभुत्व में लाना। वास्तव में पुतिन ने यूक्रेन में सत्ता बदलने का अभियान काफी हद तक अमेरिका द्वारा कोसोवो, इराक या लीबिया में सत्ता पलट की तर्ज पर ही छेड़ा है। जिस तरह इराक, लीबिया या कोसोवो की मदद के लिये कोई दूसरा देश आगे नहीं आया उसी तरह यूक्रेन को भी इसके समर्थक देशों ने अकेला छोड़ दिया है।
यूक्रेन को शांति समझौते का कड़वा घूँट पीना होगा
- दुनिया
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- 6 Mar, 2022

यूक्रेन की आम जनता ने जिस तरह अपने हाथों में हथियार उठा लिये हैं उससे रूसी सेना कीव की सड़कों पर उतरने की हिम्मत नहीं कर रही इसलिये रूस कीव की मौजूदा सरकार का मनोबल तोड़ने के लिये भीषण हवाई हमलों का ही सहारा ले रही है।
इसलिये युद्ध के दो ही नतीजे दिख रहे हैं या तो यूक्रेन और नाटो को रूस की शर्त पर शांति समझौता स्वीकार करना होगा या फिर यूक्रेन की इस मांग पर अमेरिका और नाटो को अमल करना होगा कि यूक्रेन के आसमान पर नो फ्लाई ज़ोन स्थापित किया जाए। ऐसी स्थिति में रूसी लड़ाकू विमानों को यूक्रेन के आसमान पर उड़ने से रोकने के लिये अपनी विमान भेदी मिसाइलों या लड़ाकू विमानों को तैनात करना होगा। ऐसी स्थिति में रूस और नाटो के बीच सीधा युद्ध छिड़ेगा और तब तीसरा विश्व युद्ध देखने के लिये हमारी पीढ़ी के लोगों को तैयार रहना होगा।