रंजीत कुमार देश के मशहूर रक्षा विशेषज्ञ हैं।
पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों में बीते 5 मई से चल रही सैन्य तनातनी दूर करने के लिये सोमवार को दोनों पक्षों के सैन्य और राजनयिक प्रतिनिधियों की हुई छठी बैठक के बाद जारी साझा बयान उम्मीदें पैदा करता है।
संसद में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से यह बयान दिलवाना हैरान करता है कि पिछले छह महीनों से चीनी सीमा पर घुसपैठ नहीं हुई है।
भारत की ओर से कहा गया है कि एलएसी को एकपक्षीय तौर पर बदलने की किसी भी कोशिश को भारत स्वीकार नहीं करेगा और भारतीय पक्ष ने सीमा प्रबंध के सभी समझौतों का सटीक पालन किया है।
गत चार महीनों से पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाकों में भारत और चीनी सेनाओं के बीच चल रही सैन्य तनातनी अब धमकियों और चेतावनियों के स्तर तक पहुंच गई है।
हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण कर भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा ऐसा देश बन गया है जिसके पास यह तकनीक है। डीआरडीओ ने यह परीक्षण किया है।
भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की बातचीत का कोई ख़ास नतीजा नहीं निकला, चीन ने पीछे हटने से इनकार कर दिया। ऐसे में तनाव एक बार फिर बढ़ रहा है। आगे क्या होगा?
पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर की चोटियों के इलाक़े में चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोकने की साहसी कार्रवाई करने वाली विकास बटालियन के जवान भारतीय सेना के सबसे घातक कमांडो के तौर पर जाने जाते हैं।
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के इलाके में 15 हजार फीट ऊँची चोटियों पर भारतीय सेना द्वारा अपने सैनिकों को बैठा देना चीन के लिये दूसरी बड़ी शमिंदगी का कारण बना।
चीन की इस हरकत से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य तनाव का तापमान काफी बढ़ गया है। इसी के मद्देनजर भारतीय सेना ने लेह-श्रीनगर राजमार्ग को आम आवाजाही के लिए रोक दिया है।
भारत चीन तनाव के बीच रूस इस पर राजी हो गया है कि भारत ब्रम्होस मिसाइल चीन के पड़ोसी देशों को बेचे।
चीन को पूर्वी लद्दाख के सीमांत भारतीय इलाक़े से पीछे जाने के लिये मजबूर करने के इरादे से सैन्य विकल्प के इस्तेमाल की सम्भावनाओं को लेकर भारत के प्रधान सेनापति जनरल बिपिन रावत के बयान का सामरिक हलकों में गहन विश्लेषण शुरू हो गया है।
गुरुवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के डब्ल्यूएमसीसी की चौथे दौर की बातचीत में चीन अपने सैनिकों को पाँच मई से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर सहमति देगा, इसकी उम्मीद कम ही है।
इज़राइल ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ राजनयिक रिश्तों की स्थापना करने और जनता और सरकारी स्तर पर दिवपक्षीय सहयोग के कई समझौतों का एलान कर अरब कौम में एक बड़ी सेंध लगाई है।
भारत से पहले अमेरिका, यूरोप और आस्ट्रेलिया ने अपने यहां चल रहे कन्फ्यूसियस संस्थानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है।
चीन भारत से बातचीत करता रहा, पर उसने इस दौरान पैंगोंग त्सो, देपसांग पर कब्जा पक्का कर लिया।
इसमें कोई शक नहीं है कि राफ़ेल एक क्षमतावान लड़ाकू विमान है और पाकिस्तान के पास इस विमान का कोई जवाब नहीं है लेकिन चीनी वायुसेना के बारे में यह कहना अतिश्योक्ति होगी।
फ़्रांस के दसू एविएशन कंपनी से खरीदे गए बहु-प्रचारित और बहु-विवादित रफ़ाल लड़ाकू विमानों को गुरुवार को भारतीय वायु सेना में शामिल कर लिया गया।
सवाल यह उठता है कि क्या चीन वार्ता टेबल पर कुछ बोलता है और ज़मीन पर वह अपना रवैया बदल लेता है?
अब तक के संकेत यही हैं कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच वार्ता में भारी गतिरोध पैदा हो गया है और चीनी सेना ने संघर्ष के इलाक़ों से अपने सैनिकों को और पीछे हटाने से साफ़ इनकार कर दिया है।
अमेरिकी युद्धपोतों ने 20 जुलाई को भारतीय नौसेना के बड़े विध्वंसक पोतों, फ्रिगेटों, पनडुब्बियों और समुद्र टोही विमानों के साथ साझा अभ्यास किया।
लगता है चीन को समझ में आ गया है कि पूर्वी लद्दाख में भारत से लगे सीमांत इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा का एकतरफा उल्लंघन कर जबरदस्ती घुसना उसके लिए महंगा पड़ेगा।
गत पांच जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर
क्या भारत-चीन तनाव के नतीजे के तौर पर हम चीनी स्वप्न को ध्वस्त होते हुए देखेंगे?
चीनी सेना की रणनीति है कि वह अपने लक्ष्य के इलाके पर सैन्य तैनाती बढ़ाती जाए और बाकी इलाकों को लेकर हमें बातों में फंसा कर रखे।
गलवान घाटी, देपसांग और हॉट स्प्रिंग से पीछे हटने की पेशकश कर चीन पेंगोंग त्सो झील के फिंगर-4 और फिंगर-8 पर अपना कब्जा करने की फिराक में है।
भारत चीन सीमा विवाद पर चीन की रणनीति चार क़दम आगे, दो क़दम पीछे की है। चीन ने डोकलाम इलाक़े में भी सौ मीटर और आगे तक अपने सैनिकों को बढ़ा दिया है।