पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों में भारत और चीन के बीच सैन्य तनातनी ख़त्म करने के लिये चीनी पक्ष शुरू में जिस तरह अपना रुख़ नरम करता हुआ दिखा वह अब चीन के अड़ियल रुख़ में बदलता हुआ दिख रहा है। अब तक के संकेत यही हैं कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच वार्ता में भारी गतिरोध पैदा हो गया है और चीनी सेना ने संघर्ष के इलाक़ों से अपने सैनिकों को और पीछे हटाने से साफ़ इनकार कर दिया है। यही वजह है कि गत 17 जुलाई को लद्दाख दौरे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सैनिकों को सम्बोधित करते हुए यह कहना पड़ा कि बातचीत चल रही है लेकिन इसका क्या नतीजा निकलेगा वह इसकी गारंटी नहीं दे सकते।
क्या चीन ने सीमा पर 40 हज़ार सैनिक जमा कर लिए हैं?
- विचार
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- 23 Jul, 2020

प्रतीकात्मक तसवीर
अब तक की रिपोर्टों के मुताबिक़ चीनी सेना गलवान घाटी और गोगरा – हॉट स्प्रिंग के इलाक़ों से तो वास्तविक नियंत्रण रेखा तक पीछे लौट चुकी है लेकिन पैंगोंग त्सो झील और देपसांग के इलाक़े से वह पीछे हटने को तैयार नहीं। रिपोर्टों के मुताबिक़ चीनी सेना ने इन दोनों इलाक़ों को छोड़ने से साफ़ मना कर दिया है।
पाँच दिनों बाद नई दिल्ली में वायुसेना के कमांडरों के छमाही सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए रक्षा मंत्री के इस बयान से भी साफ़ संकेत मिलता है कि भारत और चीन के आला सैन्य कमांडरों और राजनयिकों के बीच वार्ता टूट गई है। यही वजह है कि रक्षा मंत्री को 22 जुलाई को वायुसेना से कहना पड़ा कि अल्प नोटिस पर किसी भी वक़्त कार्रवाई करने को तैयार रहें। दोनों सेनाओं के स्थानीय कमांडरों के बीच पिछली वार्ता दस जुलाई को हुई थी जिसमें हुई सहमतियों को लागू करने से चीनी सेना मुकर रही है।