पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनातनी के चरम पर पहुंचने के बाद भारत और चीन की सरकारों ने एक-दूसरे पर द्विपक्षीय संधियों (1993, 1996, 2003 और 2013) को तोड़ने और सैन्य कमांडरों के बीच 6 और 22 जून को हुई सहमतियों को भंग करने के आरोप लगाए हैं।
सैन्य जमावड़ा बढ़ा रहा चीन, पैंगोंग त्सो झील छोड़ने को तैयार नहीं
- विचार
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- 6 Jul, 2020

सैन्य सूत्रों का कहना है कि चीन ने पैंगोंग त्सो झील इलाके पर कब्जा जमाने के लिए ही गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग और देपसांग इलाके में अपनी सैन्य बढ़त बनाकर भारतीय इलाके में अतिक्रमण किया है। चीन ने फिंगर-4 से फिंगर-8 चोटी के बीच बंकर और अन्य स्थायी सुविधाएं बना ली हैं, जहां सैनिक दिन-रात ठहर कर अपने कब्जे के इलाके की चौकसी और रक्षा कर सकते हैं। ताजा रिपोर्ट है कि चीनी सेना फिंगर -4 से नीचे फिंगर-3 तक भी कदम बढ़ा चुकी है।
नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव और नई दिल्ली में ही चीनी राजदूत सुन वेंई तुंग ने तनाव भड़काने के लिए एक-दूसरे के इलाक़ों में घुसपैठ को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन चीनी राजदूत के आरोपों में पहली बार चीन की ओर से की जा रही यह पेशकश छिपी है कि वह भारत के साथ आधे पर समझौता करने को तैयार है।