गत पांच जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात सामान्य करने की दिशा में कुछ निर्णायक फैसले लिए गए हैं। निश्चय ही इन फैसलों को सकारात्मक दिशा में एक कदम माना जाना चाहिए। लेकिन ये फैसले भारत की यथास्थिति बहाल करने की मांग के कितने अनुरूप हैं, कहना मुश्किल है क्योंकि भारत और चीन के आला अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद यह साफ नहीं कहा गया है कि चीन पांच मई से पहले की अपनी तैनाती और सैन्य गश्ती वाली स्थिति बहाल करेगा।
गलवान/हॉट स्प्रिंग पर खुश न हों, पैंगोंग झील की चोटियों को चीन से छुड़वाना ज़रूरी
- विचार
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- 13 Jul, 2020

गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग के इलाकों से पीछे हटने की कार्रवाई कर चीन पैंगोंग इलाके पर मौन है। भारतीय पक्ष द्वारा भी इस बारे में मौन बरता जाना हैरानी पैदा करता है। इस बारे में सरकार का रुख एक टीवी चैनल पर बीजेपी के एक प्रवक्ता की टिप्पणी से साफ पता चलता है कि फिंगर-4 से फिंगर-8 के बीच 1999 के करगिल युद्ध के समय से ही विवाद रहा है।