गत चार महीनों से पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाकों में भारत और चीनी सेनाओं के बीच चल रही सैन्य तनातनी अब धमकियों और चेतावनियों के स्तर तक पहुंच गई है। चीनी सरकारी मुखपत्रों में भारत को तबाह कर देने की धमकियां उसी तरह जारी की जाने लगी हैं जैसा कि जून, 2017 में भूटान के डोकलाम इलाके में भारतीय सेना द्वारा चीनी सेना को सड़क बनाने से रोके जाने के बाद पैदा हुई सैन्य तनातनी के दौरान जारी की गई थीं।
भारत-चीन: जबरदस्त तनाव का माहौल, बातचीत, गोली और धमकियां क्या युद्ध में बदलेंगी?
- विचार
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- 9 Sep, 2020

क्या पूर्वी लद्दाख के इलाके में टकराव की चिंगारी पूरे भारत-चीन सीमांत इलाके में जंगल की आग की तरह फैल जाएगी। और यदि सीमांत इलाके युद्ध की चपेट में आते हैं तो क्या भारत और चीन के भीतरी इलाके इससे बच पाएंगे?
तब भारतीय और चीनी सैनिक एक-दूसरे से सौ मीटर की दूरी पर आमने-सामने की स्थिति में 73 दिन तक तैनात रहे थे। लेकिन तब भी दोनों सेनाओं के बीच गोलियां नहीं चली थीं। 1975 के बाद जहां पहली बार किसी संघर्ष में गलवान घाटी में गत 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों की मौतें हुईं, वहीं 1975 के बाद पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे के इलाके में पहली बार सारी परम्पराओं, सहमतियों और समझौतों को तोड़ते हुए गोलियां भी चल गईं।