दलाई लामा की उत्तराधिकारी योजना और चीन के विरोध के चलते भारत-चीन के बीच फिर से तनाव गहराने की आशंका है। जानिए इस संवेदनशील मुद्दे पर कूटनीतिक हलचल और संभावित टकराव की वजहें।
दलाई लामा एक बार फिर भारत और चीन के बीच तनाव का कारण बन रहे हैं। 1959 में उन्होंने भारत में शरण ली थी जिससे हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा बेमानी बन गया था और तीन साल बाद भारत और चीन के बीच युद्ध हो गया था। नब्बे वर्ष के हो चुके दलाई लामा चाहते हैं कि अगला दलाई लामा तिब्बती आध्यात्मिक परंपरा के तहत ही हो जबकि चीन इसे मानने को तैयार नहीं है। वह दलाई लामा संस्था को नियंत्रण में लेकर तिब्बत के विलय को पूर्ण कर लेना चाहता है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर दलाई की इच्छा को सर्वोच्च बताया था जिस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत और चीन के बीच फिर से युद्ध हुआ तो वजह दलाई लामा होंगे।
तिब्बती बौद्ध धर्म वज्रयान परंपरा का हिस्सा है, जो तांत्रिक अभ्यास, मंत्र, और गुरु-शिष्य परंपरा पर जोर देता है। यह परंपरा तिब्बत की मूल बोन परंपरा को काफी हद तक प्रतिस्थापित करने में सफल रही।