13 जून 2025 को दुनिया ने फिर देखा कि जब कोई देश बिना अंतरराष्ट्रीय सहमति के सैन्य कार्रवाई करता है तो उसके कितने ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं। इसराइल ने ईरान की संप्रभुता के ख़िलाफ़ जो हमला किया, वह गहरी चिंता का कारण और क़ानून का उल्लंघन था।