अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया घोषणा ने दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान में तेल की खोज में मदद करेगा, और यह भी कि शायद एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचे। यह बयान न केवल क्षेत्रीय समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों पर भी सवाल उठाता है। ख़ासतौर पर जब भारत पूरी कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान को आतंकवाद की नर्सरी के रूप में दुनिया के सामने पेश करे। तो क्या यह भारत की विदेशनीति की नाकामी है कि पाकिस्तान को दुनिया के सबसे ताक़तवर देश का समर्थन हासिल हो रहा है?
भारत की कूटनीति पर सवाल है पाकिस्तान में तेल खोजने की ट्रंप की घोषणा
- विश्लेषण
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- 1 Aug, 2025

डोनाल्ड ट्रंप, शहबाज शरीफ और नरेंद्र मोदी।
डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान में तेल खोजने की घोषणा ने दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में हलचल मचा दी है। क्या भारत की विदेश नीति इस नए समीकरण के लिए तैयार है?
तेल क्या है?
पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, किरोसिन, और प्लास्टिक- ये सभी चीजें आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। ये सभी पेट्रोलियम पदार्थ हैं, जिनका मूल स्रोत है क्रूड ऑयल यानी कच्चा तेल। यह एक प्राकृतिक तरल पदार्थ है, जो लाखों-करोड़ों साल पहले समुद्रों और झीलों में रहने वाले छोटे-छोटे जीवों और पौधों के अवशेषों से बनता है। ये अवशेष समुद्र की तलहटी में दब जाते हैं, जहां मिट्टी और चट्टानों का दबाव, गर्मी, और समय इन्हें तेल और प्राकृतिक गैस में बदल देता है।
तेल बनने की प्रक्रिया
- छोटे जीव और पौधे मरकर समुद्र की तलहटी में जमा होते हैं।
- मिट्टी और चट्टानों की परतें इन पर दबाव डालती हैं।
- लाखों सालों में, ऑक्सीजन की कमी, गर्मी, और दबाव से ये कार्बनिक पदार्थ तेल और गैस में बदल जाते हैं।
- यह तेल चट्टानों की छोटी-छोटी दरारों में जमा हो जाता है, जिसे भंडार कहते हैं।
प्राचीन काल में तेल का रिसाव प्राकृतिक रूप से देखा गया था, लेकिन इसका व्यावसायिक उत्पादन 19वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ। इसने औद्योगिक क्रांति को गति दी, परिवहन को तेज किया, और मोटरकारों का युग शुरू किया। लेकिन एक क्षेत्र ऐसा था, जिसकी किस्मत तेल ने रातोंरात बदल दी। यह था रेगिस्तान के मारे अरब का इलाक़ा।