असम में बाल विवाह के कथित आरोपियों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हो रही हैं।
असम में बाल विवाह करने वाले लोगों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां की गई हैं। असम सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि इसकी आड़ में मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है। हालांकि मुस्लिम इलाकों में भारी गिरफ्तारियां हुई हैं।
राज्य में बाल विवाह के बढ़ते मामलों और इसकी वजह से माता व शिशु मृत्यु दर में आई तेजी पर अंकुश लगाने के लिए पूर्वोत्तर राज्य असम में कर्नाटक से सबक लेते हुए एक अहम फैसला किया था. अब उस पर अमल करते हुए राज्य पुलिस ने बाल विवाह करने वालो के खिलाफ बड़े पैमाने पर धर-पकड़ अभियान शुरू किया है. शुक्रवार से शुरू इस अभियान के तहत अब तक चार हजार मामले दर्ज कर 18 सौ से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस की कार्रवाई अगले 15 दिनों तक जारी रहेगी. इसके तहत राज्य में 14 वर्ष से कम उम्र की युवतियों के साथ विवाह करने वालों के खिलाफ पोक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. इसके अलावा 14 से 18 वर्ष की लड़कियों से शादी करने वालों को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत गिरफ्तार किया जाएगा. बाल विवाह के मामलों में वर-वधू की उम्र 14 वर्ष से कम होने की स्थित में विवाह को अवैध करार देते हुए वर को गिरफ्तारी के बाद जुवेनाइल कोर्ट में पेश किया जाएगा.
समाजशास्त्रियों ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है. लेकिन कुछ संगठनों ने अंदेशा जताया है कि अल्पसंख्यक तबके के लोगों को परेशान करने के लिए कहीं इस कानून का दुरुपयोग नहीं हो. राज्य सरकार पहले भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपने कुछ फैसलों से सुर्खियों में रही है.
एनएफएचएस-5 की सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, असम में 20 से 24 वर्ष के उम्र की की 31 फीसदी से अधिक ऐसी महिलाएं हैं जिनकी शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले हो गई थी. वर्ष 2019-20 में इस मामले में राष्ट्रीय औसत 23 फीसदी से कुछ अधिक था. एनएफएचएस की रिपोर्ट के 2015-16 के आंकड़ों के मुकाबले चार वर्ष में बाल विवाह में एक फीसदी वृद्धि हुई है. असम में कम उम्र में गर्भवती होने वाली लड़कियों की तादाद 11.7 फीसदी है. यह राज्य में बड़ी तादाद में होने वाले बाल विवाह का सबूत है. सीमावर्ती धुबड़ी जिले में तो युवतियों को कम उम्र में ही मां भी बनना पड़ रहा है. वहां 50 फीसदी शादियां कानूनी उम्र से पहले हो रही हैं.