बिहार में आया एक ताज़ा सर्वे नीतीश सरकार के लिए चेताने वाला है। सर्वे के अनुसार नीतीश सरकार के ख़िलाफ़ काफ़ी ज़्यादा एंटी इंकंबेंसी है। इसके अलावा विकास और रोजगार के मुद्दों पर भी महागठबंधन का पलड़ा भारी है। बिहार का मुख्यमंत्री आप किसे देखना चाहते हैं, इस सवाल के जवाब में भी तेजस्वी नीतीश से आगे हैं। 'वोट वाइब' ने यह सर्वे किया है।

बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दे क्या होंगे? नीतीश सरकार के ख़िलाफ़ एंटी इंकंबेंसी कितनी है और उनकी नीतियों का समर्थन कितना है? अगले चुनाव में लोग बिहार का मुख्यमंत्री किसे देखना चाहते हैं? इस सर्वे में ऐसे ही कई मुद्दों को लेकर लोगों की राय जानने की कोशिश की गई है।

नीतीश सरकार पर रुझान क्या?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति आपका रुझान किस प्रकार का है? इस सवाल के जवाब में 48.5 फ़ीसदी लोग मानते हैं कि बहुत ज़्यादा एंटी इंकंबेंसी है। 18.3 फीसदी मानते हैं कि प्रो-इंकंबेंसी है यानी वे नीतीश की नीतियों का जबर्दस्त समर्थन करते हैं। 22.5 फीसदी न्यूट्रल हैं। 10.7 फीसदी लोगों ने कहा कि 10.7 फीसदी लोगों ने कहा कि कुछ कह नहीं सकते। 

ग्राफिक्स साभार: वोट वाइब

समग्र विकास के लिए किस पर भरोसा है?

आपको बिहार के समग्र विकास के लिए किस दल या गठबंधन पर भरोसा है? इस सवाल पर 35.4 फ़ीसदी लोगों ने एनडीए पर भरोसा जताया जबकि इंडिया गठबंधन पर 36.1 फ़ीसदी लोगों ने भरोसा जताया। 10 फीसदी लोगों ने जन सुराज, 5.3 फीसदी ने अन्य पर भरोसा जताया। 13.2 फीसदी ने कहा कि वे कुछ कह नहीं सकते हैं। 

ग्राफिक्स साभार: वोट वाइब

रोजगार सृजन के लिए किस पर भरोसा?

आपको बिहार में रोजगार सृजन के लिए किस दल या गठबंधन पर भरोसा है? इस सवाल के जवाब में 39.6 फीसदी लोगों ने इंडिया यानी महागठबंधन पर भरोसा जताया, जबकि 32.3 फीसदी लोगों ने एनडीए पर। 13.6 फ़ीसदी ने जन सुराज और 4.0 फ़ीसदी ने अन्य पर भरोसा जताया। 10.5 फीसदी लोगों ने कहा कि वे कुछ कह नहीं सकते।

कानून-व्यवस्था कैसी?

नीतीश कुमार सरकार में बिहार में कानून व्यवस्था को आप कैसे देखते हैं? इस पर 28.7 फीसदी लोगों ने कहा कि सुधार हुआ है, जबकि 28.5 फीसदी लोगों ने कहा कि कोई बदलाव नहीं हुआ है। 34.2 फीसदी लोगों ने कहा कि क़ानून-व्यवस्था बिगड़ी है। 8.7 फ़ीसदी लोगों ने कुछ नहीं कहा। 

एनडीए का मुख्यमंत्री चेहरा कौन?

आपके अनुसार क्या बीजेपी को नीतीश कुमार को एनडीए का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करना चाहिए? 24.2 फीसदी लोगों ने कहा कि 'हाँ, अच्छा काम किया है'। 23.1 फीसदी लोगों ने कहा कि 'हां, बीजेपी के पास विकल्प नहीं है'। 33.7 फीसदी लोगों ने कहा कि 'बिल्कुल नहीं, बीजेपी को अपना चेहरा घोषित करना चाहिए'। 18.9 फीसदी लोगों ने कहा कि कह नहीं सकते। 

बिहार का सीएम कौन हो?

आप बिहार का मुख्यमंत्री किसे देखना चाहते हैं? 25 फीसदी ने कहा कि नीतीश कुमार को, 32.1 फीसदी ने कहा कि तेजस्वी यादव को, 12.4 फीसदी ने कहा कि प्रशांत किशोर को, 9.4 फीसदी ने कहा कि चिराग पासवान को सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। 4.1 फीसदी लोग सम्राट चौधरी को, 2.3 फीसदी राजेश राम को, 6.5 फीसदी अन्य को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। 8.2 फीसदी ने कहा कि कह नहीं सकते। 

ग्राफिक्स साभार: वोट वाइब

एसआईआर पर लोगों की राय क्या?

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा की गई विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया को आप कैसे देखते हैं? 34.5 फीसदी ने कहा कि अवैध वोटरों को हटाने की प्रक्रिया और 15.8 फीसदी ने कहा कि यह नियमित प्रक्रिया है। जबकि 27.3 फीसदी ने कहा कि इस समय आवश्यक नहीं थी और 14.8 फीसदी ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया प्रभावित करने की कोशिश है। 7.6 फीसदी ने कहा कि कुछ कह नहीं सकते हैं। 

अहम चुनावी मुद्दे क्या हैं?

आपके अनुसार सबसे अहम चुनावी मुद्दा क्या है? 49.5 फीसदी ने बेरोजगारी माना, जबकि 11.1 फीसदी ने महंगाई, 12.2 फीसदी ने क़ानून व्यवस्था, 4.2 फीसदी ने मतदाता सूची, 9.4 फीसदी ने भ्रष्टाचार, 2.3 फीसदी ने बिजली, सड़क, पानी, 3.5 फीसदी ने शराबबंदी और 3.4 फीसदी ने अन्य को मुद्दा माना। 4.4 फीसदी लोगों ने कहा कि कुछ कह नहीं सकते हैं।

अन्य मुद्दों पर क्या राय?

यदि वर्तमान विधायक फिर से चुनाव लड़ें तो क्या आप उन्हें वोट देंगे? इस सवाल का जवाब 29.7 फ़ीसदी लोगों ने हाँ में दिया, जबकि 54.9 फीसदी लोगों ने नहीं में जवाब दिया। 15.5 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि वे कुछ कह नहीं सकते। 

क्या आप बिहार की जाति आधारित राजनीति को बदलना चाहते हैं? इस सवाल पर 80.5 फीसदी लोगों ने हाँ में जवाब दिया जबकि 10.1 फीसदी ने नहीं में जवाब दिया। 9.4 फीसदी लोगों ने कहा कि वे कुछ कह नहीं सकते हैं। 

सर्वे के आँकड़े बताते हैं कि बिहार एक प्रतिस्पर्धी चुनाव की ओर बढ़ रहा है जिसमें सत्ता विरोधी भावनाएँ ज़्यादा हैं। यह एंटी-इंकंबेंसी खासकर युवा मतदाताओं में ज़्यादा है। इससे संकेत मिलता है कि वे बदलाव चाहते हैं। जन सुराज का एक संभावित तीसरी ताक़त के रूप में उभरता दिख रहा है।