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प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

हॉर्स ट्रेडिंग के डर से छत्तीसगढ़ कांग्रेस अपने विधायकों को बेंगलुरु ले जायेगी 

छत्तीसगढ़ में भी अन्य चार राज्यों के साथ ही 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे लेकिन कांग्रेस पार्टी अभी से हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर सावधान है। 
अब मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जानकारी सामने आई है कि हार्स ट्रेडिंग से बचने के लिए कांग्रेस ने चुनाव परिणाम आने के बाद अपने विधायकों को बेंगलुरु शिफ्ट करने की योजना बना ली है। 

सूत्रों के मुताबिक इसके लिए कांग्रेस ने 72 सीटों वाला एक चार्टेड प्लेन भी बुक करा लिया है। इस प्लेन में सभी जीते हुए विधायकों और कुछ पार्टी नेताओं को बैठा कर बेंगुलुरु ले जाया जायेगा। 

इन विधायकों को बेंगलुरु इसलिए ले जाया जायेगा कि इस समय कांग्रेस के लिए बेंगलुरु ही सबसे सुरक्षित जगह है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है और उसे भरोसा है कि वहां उसके विधायक सुरक्षित रह सकेंगे। 

मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि छत्तीसगढ़  कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ने वाले अपने सभी उम्मीदवारों को कह दिया है कि उनमें से जो भी चुनाव में जीत दर्ज करे वह अपनी जीत का सर्टिफिकेट मिलते ही सीधे राजधानी रायपुर चला आए। 

रायपुर में वीआईपी रोड में एक होटल में सभी नवनिर्वाचित विधायकों के रुकने का इंतजाम किया जा रहा है। सभी कांग्रेस विधायक इस होटल में रात में ठहरेंगे। 

इसके बाद सभी विधायक रायपुर से चार्टेड प्लेन के द्वारा बेंगलुरु अगले दिन यानी 4 दिसंबर को जायेंगे। विधानसभा चुनाव के परिणाम के अगले दिन बेंगलुरु जाने का कार्यक्रम इसलिए रखा गया है क्योंकि कांग्रेस के बस्तर से सरगुजा तक नवनिर्वाचित विधायकों को रायपुर आने में समय लगेगा। 

सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र से राजधानी आ सके और सभी को एक साथ लेकर जाया जा सके इसलिए 4 दिसंबर को बेंगलुरु जाने की योजना रखी गई है। 
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जीत का अंतर कम रहने पर हो सकती है हॉर्स ट्रेडिंग

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी। पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी और उसने भाजपा के शासन को उखाड़ फेंका था। 
2018 में कांग्रेस की शानदार जीत के बाद भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने थे। इस बार के चुनाव में कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल ही मुख्यमंत्री का चेहरा रहे हैं। भूपेश बघेल अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
वहीं भाजपा ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को आगे नहीं किया था। छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। ऐसे में सरकार बनाने के  लिए 46 विधायक चाहिए। छत्तीसगढ़ में दो चरणाों में 7 और 17 नवंबर को वोट डाले गए थे और चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को आयेंगे। 

इससे पहले गुरुवार को सामने आए विभिन्न एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में बनने की संभावना जताई गई है। 10 एग्जिट पोल में  ज्यादातर ने कांग्रेस को न्यूनतम 40 और अधिकतम 56 सीटें मिलने का अनुमान जताया है। 
ऐसे में अब कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस को डर है कि अगर उसे 50-55 तक सीटें आती हैं तो भाजपा हार्स ट्रेडिंग का सहारा लेकर उसके विधायकों को अपने में मिला सकती है। 
ऐसे में कांग्रेस से कम सीटें लाकर भी भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है। यही कारण है कि चुनाव का नतीजा आने से पहले कांग्रेस की छत्तीसगढ़ में हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका में टेंशन बढ़ी हुई है। 
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2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली थी 68 सीट

कांग्रेस की टेंशन बढ़ने का एक बड़ा कारण यह भी है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस को छत्तीसगढ़ विधानसभा में 68 सीटें मिली थी। इस बार कांग्रेस के लिए इतनी सीट मिलनी आसान नहीं दिख रही हैं। 
इस बार माना जा रहा है कि कांग्रेस और भाजपा में जीत का अंतर कम सीटों का हो सकता है। कम सीट होने की दशा में ही हॉर्स ट्रेड्रिंग की आशंका रहती है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने मध्य प्रदेश से सबक सीख लिया है।
2018 के चुनाव में कांग्रेस को मध्य प्रदेश विधानसभा में बहुमत मिला था। वहां उसकी सरकार भी बनी थी। लेकिन करीब डेढ़ वर्ष बाद उसके कुछ विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इसके कारण कांग्रेस की मध्य प्रदेश में सरकार गिर गई थी। 
मध्य प्रदेश के साथ ही पूर्व के वर्षों में महाराष्ट्र आदि राज्यों में हॉर्स ट्रेडिंग की घटना हो चुकी है। यही कारण है कि इससे बचने के लिए कांग्रेस ने चुनाव परिणाम आने से पहले ही तैयारियां शुरु कर दी है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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