भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी को आया था। तब से लेकर अब तक छह महीने हो चुके हैं लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बदतर ही है।
कोरोना से निपटने में क्यों फ़ेल रहीं केंद्र व राज्य सरकारें?
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- 29 Jul, 2020
देश की स्वास्थ्य व्यवस्था किस कदर लचर है, कोरोना संक्रमण के दौर में यह सबके सामने आ गया है।

जबरदस्त लापरवाही?
छह महीने का समय कम नहीं होता, अगर सरकारें चाहतीं तो इस दौरान बेहतर रणनीति बनाकर कोरोना संक्रमण को क़ाबू कर सकती थीं। लेकिन आज जब संक्रमण के मामले 14 लाख से ज़्यादा हो चुके हैं और 33 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है तो ऐसा लगता है कि केंद्र व राज्य सरकारों ने कोरोना से निपटने में जबरदस्त लापरवाही की।
कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद सरकारों को तीन बिंदुओं पर काम करना चाहिए था। पहला- फैलाव को रोकना, दूसरा- कोरोना संक्रमितों का बेहतर इलाज और तीसरा बाक़ी लोगों को इससे बचाना।
लेकिन संक्रमण के धुआंधार बढ़ते मामले बताते हैं कि केंद्र व राज्य सरकारें इसके फैलाव को रोकने मे नाकामयाब रहीं। इलाज की क्या स्थिति है, इसके लिए आप छह महीने बाद भी मरीज़ों को अस्पतालों के बाहर इंतजार करते और अंदर दाखिल कई मरीज़ों को तिल-तिल करके मरते देखकर, इसका अंदाजा लगा सकते हैं।